चंदौली में आज मनाया गया राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस, यह है उद्देश्य
चंदौली जिले में आज सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया गया । व्हाइट रिबन एलाइंस इंडिया (वीआरएई) की पहल के बाद सरकार ने साल 2003 में 11 अप्रैल को कस्तूरबा गांधी के जन्मदिन को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी ।
भारत राष्ट्रीय सुरक्षित मातृ दिवस घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश है । इस दिवस पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । जिससे गर्भवती के पोषण पर सही ध्यान व परामर्श दिया जा सके। यह कहना है राजकीय महिला चिकित्सा की अधीक्षिका डॉ अनुरिता सचान का ।
डॉ. सचान ने कहा कि गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव बाद महिलाओं के लिए अधिकतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जाए, जिससे प्रसव के दौरान या प्रसव पश्चात बच्चे को जन्म देने के कारण किसी भी गर्भवती की मौत न हो। इसलिए प्रसव पूर्व एवं पश्चात देखभाल के लिए गर्भवती को नियमित चिकित्सकीय जांच व पोषण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी दी जाती है ताकि प्रसव सुरक्षित हो एवं प्रसव पश्चात जच्चा – बच्चा स्वस्थ रहें ।
उन्होंने कहा कि गर्भावस्था का पता चलते ही स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर नाम दर्ज कराना चाहिए, ताकि घर के नजदीक केंद्र पर नियमित जांच की सुविधा मिल सके । उच्च जोखिम युक्त गर्भवस्था से चिन्हित लाभार्थी को प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अन्तर्गत प्रथम बार गर्भवती होने वाली महिला को उचित खान पान एवं पोषण के लिए 5000 रूपये की धनराशि तीन किश्तों में दी जाती है।
महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ महिमा नाथ ने कहा कि गर्भावस्था की प्रथम तिमाही अथवा 12 सप्ताह से पहले स्वास्थ्य केन्द्र पर जाना चाहिए ताकि गर्भवती को स्वास्थ्य की जानकारी व नियमित चिकित्सा जांच व पोषण संबधि जानकारी दी जा सके । गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल के साथ ही गर्भवती को दिनभर में कम से कम पाँच बार खाने की सलाह दी जाती है , जिसमें तीन बार मुख्य भोजन और दो बार पौष्टिक नाश्ता होना चाहिए । प्रतिदिन के आहार में पौष्टिक भोजन शामिल करना चाहिए। गहरे रंग की हरी पत्तेदार सब्जी, विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, साबुत दालें और फलियां, अनाज जैसे बाजरा ज्वार रागी और दूध या दूध से बनी चीज़ें अवश्य ही खानी चाहिए।
डॉ महिमा नाथ ने बताया कि गर्भावास्था के दौरान शरीर को आयरन की जरूरत ज्यादातर होती है। आयरन की कमी से महिला को थकान, चक्कर,समय से पहले प्रसव और जटिल प्रसव की संभावना बढ़ जाती हैI आयरन की कमी गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक बन सकती है।
आयरन की कमी पूरा करने के लिए आयरन युक्त भोजन के साथ प्रतिदिन आयरन की गोली खाने की जरूरत होती है। चिकित्सक के बताये अनुसार आयरन टैबलेट (आईएफए) का सेवन करें। इसे बच्चे के जन्म के छह महीने बाद तक जारी रखें। सभी गर्भवती यहां तक कि जिन्हें एनीमिया नहीं है उन्हें भी रोजाना लाल आयरन टैबलेट का सेवन करना चाहिए। लाल आयरन की गोलियां न केवल एनीमिया को कम करती हैं बल्कि भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए भी फायदेमंद होती हैं।
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