चंदौली बस डिपो : इस मामले में फेल है डबल इंजन की सरकार, सांसद-विधायक को नहीं है याद
चंदौली जिले का परिवहन विभाग
डबल इंजन की सरकार, नहीं हो रहा कोई काम
चंदौली जिले के नाम से समाजवादी पार्टी के शासनकाल में डिपो बन गया और चंदौली जिले के कटसिला इलाके में जमीन लेकर भूमि पूजन भी कर दिया गया, तब उम्मीद जगी थी कि आने वाले कुछ सालों में चंदौली जिले में सरकारी बसों की सेवा व सुविधा जिले को मिलने लगेगी, लेकिन पांच सालों में डबल इंजन की सरकार इस मामले में फेल नजर आ रही है।
आपको याद होगा कि 2015-16 में तत्कालीन परिवहन आयुक्त पी. गुरूप्रसाद की पहल पर चंदौली जिले में परिवहन निगम का डिपो व बस अड्डा बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी और तब यह उम्मीद जगी थी कि चंदौली से भी प्रदेश के अन्य जिलों में आने जाने के लिए अच्छी बस सुविधा मिलेगी, लेकिन भाजपा सरकार में सत्ता पक्ष के तीन विधायकों ने इसके लिए कुछ खास पहल नहीं की। इसी वजह से परिवहन विभाग चकिया, सैयदराजा सहित कुछ इलाकों में खटारा बसों की व्यवस्था जरूर कर दी, लेकिन उससे ज्यादा किसी ने कुछ नहीं सोचा।
मीटिंग में होती है चर्चा
चंदौली जिले में कोई भी बस अड्डा या परिवहन विभाग का डिपो नहीं बनने की वजह से चंदौली जिला परिवहन विभाग की नजर में काफी उपेक्षित रहा। यहां के नाम पर तैनात अफसर भी बनारस में भी डेरा डाले रह गए। वह केवल सरकारी मीटिंग में आला अफसरों की हां में हां मिलाने आकर चले जाते हैं। न जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधि उनके डिपो की जमीन के लिए रास्ते इत्यादि की व्यवस्था कर रहे हैं और न ही उसके लिए किसी नयी जमीन की पहल कर रहे हैं।
29 बसों को गिना रहा विभाग
इसी तरह की लापरवाही व उपेक्षा के चलते चंदौली डिपो का भी संचालन वाराणसी जिले से किया जा रहा है। फिलहाल चंदौली जिले में सरकारी रिकॉर्ड में 29 बसें चलायी जा रही हैं, उनका लाभ कितना चंदौली जिले की जनता को हो रहा है यह तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आने जाने वाले लोग बेहतर बता पाएंगे।
आप देख सकते हैं कि चंदौली जिले में दिखावे के तौर पर चकिया और मुगलसराय में बदहाल स्थिति में पड़े हुए रोडवेज बस स्टेशन जरूर आपको दिखाई दे सकते हैं। आपको बता दें कि चंदौली जिले में परिवहन निगम के ना तो आला अधिकारी बैठते हैं और ना ही वह नियमित तौर पर आकर यहां के लोगों की समस्याओं को देखने सुनने या जाने की कोशिश करते हैं।
जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों उदासीन
कुछ यही हाल चंदौली जिले के जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का है जो चंदौली जिले की जनता की समस्याओं के प्रति उदासीन बने रहते हैं। चंदौली जिले में रोडवेज के डिपो और बस अड्डे की जरूरत महसूस की जाती है, ताकि चंदौली जिले के सभी रूटों पर नियमित तौर से सरकारी बसों का संचालन किया जा सके। लेकिन लंबी लंबी गाड़ियों में घूमने वाले जनप्रतिनिधि और ऐसो आराम के बीच बंद शीशे में ऐसी चलाकर जिले का दौरा करने वाले आला अधिकारी कभी जनता की समस्या से रूबरू नहीं होना चाहते, तभी तो चंदौली जिले में पहले से भी मौजूद सेवाओं की बदहाली बढ़ती जा रही है और कोई भी अधिकारी नई सेवा के लिए कोई भी पहल नहीं कर रहा है।
क्या बोल रहे हैं परिवहन विभाग के अधिकारी
इस संबंध में जब परिवहन विभाग के अधिकारी मुकेश कुमार से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि पहले की जो जमीन है उसके लिए कोई रास्ता नहीं है और किसी और जमीन को दिलाने के लिए कोई पहल हो नहीं रही है। ऐसी स्थिति में चंदौली का डिपो वाराणसी से संचालित होता है। फिलहाल चंदौली जिले में 29 बसें चल रही हैं। अगर जमीन के लिए रास्ता या नयी जमीन मिलेगी तभी रोडवेज का डिपो चंदौली जा सकेगा।
वहीं चंदौली जिले की जमीन के लिए प्रयास करने वाले पूर्व अधिकारी ने कहा कि उन्होंने शासन के निर्देश पर चार-पांच महीने मेहनत करके कटसिला में जमीन ली थी और आसपास की जमीन के लिए मेहनत कर रहा था, लेकिन स्थानांतरण के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
कांग्रेस का जमाना करिए याद
वहीं इस संदर्भ में जब कांग्रेस नेता नारायणमूर्ति ओझा से बात की गयी तो कहा कि आप याद करिए कांग्रेस की सरकार के जमाने में सैयदराजा, चकिया और मुगलसराय में बस स्टैंड था और वहां परिवहन विभाग के कर्मचारी बैठते थे और नियमित बसों का संचालन होता था। अब तो भाजपा के लोग पुरानी व्यवस्थाओं को भी समाप्त करने पर तुले हैं। पांच साल में आम जनता के लिए पूरे जिले में सरकारी बस की सुविधा न दिलवा सके। बस डिपो की जमीन के लिए रास्ता न दे पाएं। ऐसी जन विरोधी सरकार से कोई उम्मीद नहीं है।
फेल है डबल इंजन की सरकार
सपा के नेता व पूर्व सांसद रामकिशुन यादव चर्चा की गई तो उनका कहना था कि जो काम सपा की सरकार में शुरू कराया गया था उसको भाजपा के लोग जानबूझ कर आगे नहीं बढ़ने देना चाह रहे हैं। अगर डिपो के लिए डबल इंजन की सरकार में थोड़ा सा भी प्रयास होता तो चंदौली का डिपो चंदौली में बन गया होता और चंदौली की जनता यहां से अन्य जिलों व शहरों में जाने के लिए सरकारी बस की सुविधा पाने लगती। लेकिन भाजपा के सांसद व विधायकों को इससे कोई मतलब नहीं है। वह तो बस पुराने कामों का ही फीता काटने में मस्त हैं।
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