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गोरारी गांव के सैकड़ों परिवारों के लिए मदद करने के बजाय झूठ बोल रहा प्रशासन, शुरू हुआ धरना

आश्वासन के 7 दिन बीत जाने के बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सारे लोग थक हारकर लोग आज फिर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, जिसमें वृद्ध, महिलाये-पुरुष, छोटे- छोटे बच्चे भी शामिल हैं।  
 

दबाव में दिख रहा है जिला प्रशासन

गरीबों ने फिर शुरू किया धरना

अब आर-पार की लड़ाई के मूड में लोग

चंदौली जिले में पिछले कई दिनों से दबंगों की हरकत से परेशान गोरारी गांव के आधा दर्जन लोगों ने जिला मुख्याल पर धरना दिया था और सभी को प्रशासन ने मदद का भरोसा दिया था, लेकिन प्रशासन के सारे आश्वासन झूठे निकले हैं। जिससे लोग एकबार फिर धरने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय के सामने बैठ गए हैं। सबका आरोप है कि सत्तापक्ष के नेताओं के दबाव में लोगों पर कार्रवाई नहीं हो रही है और गरीब परेशान हो रहे हैं।

Dharna DM Chandauli

पीड़ित लोगों का कहना है कि गोरारी गांव में कई लोगों के घरों को बुलडोज़र से जमीदोंज कर, गली को उखाड़ दिया गया है और लोगों के आने जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया। इससे जिससे सैकड़ो परिवार प्रभावित हैं। नाबदान का पानी इकठ्ठा होकर वापस घरों में लौटने लगा है। लोग गलियों से मोटर पम्प द्वारा पानी निकालने को मजबूर हैं। इस क्रम में  गत दिनों पलायन होकर ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पर डेरा डाला था तो अधिकारियों के एक हफ्ते में मदद करने की बात कही थी। आश्वासन के 7 दिन बीत जाने के बाद भी जब समस्या का समाधान नहीं हुआ तो सारे लोग थक हारकर लोग आज फिर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, जिसमें वृद्ध, महिलाये-पुरुष, छोटे- छोटे बच्चे भी शामिल हैं।  

भारतीय किसान यूनियन के मंडल प्रवक्ता मणि देव चतुर्वेदी ने कहा कि ग्रामीणों की मांग है कि 200 सौ सालों से प्रयोग में लाई जा रही गली को खोला जाय, ताकि लोग अपने घर आ जा सके। कोई वैकल्पिक ब्यवस्था करने की पूरी जिम्मेदारी  शासन-प्रशासन की है। पंचायत में फैसला लिया गया कि जब तक ग्रामीणों को निकलने का मार्ग की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक बूढ़े, बच्चे, महिलायें घर वापस नहीं जाएंगी। अगर प्रशासन अनदेखी करेगा तो ये आंदोलन और तेज होगा। मंडल के कार्यकर्ता भी धरने में शामिल होंगे।

धरने में सदर अध्यक्ष कन्हैया, उपाध्यक्ष प्रभाकर मैर्या, मुंशी चौहान, खिचडू चौहान, पराहु पासवान, कमलेश चौहान, बब्बू चौहान, भोनू चौहान, सुनील, उमरावती, चिंता, बिरंजी, मीरा, धर्मशीला, सुशीला, गुड़िया, शीला, रूबी, कांता, सूखा, संतरा, रानी, श्याम प्यारी, सरोजा  आदि मौजूद रहीं।

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