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धान के कटोरा को मछली उत्पादन का हब बनाने की तैयारी शुरू, सभी ब्लाकों में दो-दो मत्स्य मित्र होंगे तैनात

चंदौली जिले में अंतरराष्ट्रीय मछली मंडी के निर्माण को देखते हुए धान के कटोरा को मछली उत्पादन का हब बनाने की तैयारी शुरू हो गई। मत्स्य विभाग जिले के सभी ब्लाकों में दो दो मत्स्य मित्र तैनात करेगा
 

चंदौली जिले में अंतरराष्ट्रीय मछली मंडी के निर्माण को देखते हुए धान के कटोरा को मछली उत्पादन का हब बनाने की तैयारी शुरू हो गई। मत्स्य विभाग जिले के सभी ब्लाकों में दो दो मत्स्य मित्र तैनात करेगा जो मछली पालकों को आधुनिक तकनीकी के बारे प्रशिक्षित करेंगे। ताकि मछली पालक अधिक से अधिक मछली का उत्पादन कर सके। 

इसके साथ ही आने वाले दिनों में 20 से 25 लाख रुपये की लागत से जलाशयों में केज मत्स्य पालन के लिए मछली पालकों अनुदान दिया जाएगा।


इस सम्बंध में सहायक निदेशक मत्स्य रवींद्र प्रसाद ने बताया कि मत्स्य मित्रों की तैनाती के प्रक्रिया शुरू हो गई। इसके अलावा जिले तीन बड़े जलाशयों में केज प्रणाली से मछली पालन के लिए जलाशयों के आस पास रहने वाले मत्स्य पालकों को अनुदान दिया जाएगा। मत्स्य कल्याण कोष से मछली पालकों को तीन लाख रुपये की लागत से तैयार होने वाले केज प्रणाली के लिए विभाग से 40 प्रतिशत अनुदान भी मिलेगा। अनुदान के साथ मछली के बच्चे और चारा भी दिया जाएगा।


सहायक निदेशक मत्स्य ने बताया कि जिले तीन प्रमुख जलाशय मुसाखाड़, भैसौड़ा और नौगढ़ जलाशयों केज प्रणाली से मछली पालन कराया जाएगा। इसके लिए जलाशयों के आसपास रहने वाले लोगों इस तकनीकी से प्रशिक्षित कर योजना का लाभ दिया जाएगा।


बताते चलें कि केज (पिंजरा) जाल की मदद से जलाशय के गहरे पानी में चार से पांच मीटर क्षेत्र फल में सभी ओर से बंद कर पिंजरा तैयार किया जाता है। इसमें मछली का पालन किया जाता है। इस तरह से सोनभद्र और सिद्धार्थनगर सहित एशिया के कई देशों में मत्स्य पलान किया रहा है।

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