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अप्रैल माह में ही गर्मी का तेवर असहनीय, सूनी हो जा रही हैं सड़कें

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में अप्रैल माह में ही गर्मी का तेवर असहनीय होने लगा है। गर्म हवा व लू के थपेड़ों से शरीर झुलसने लगी है। खासकर दिन की दोपहरी में तल्ख धूप में घरों से बाहर निकला मुश्किल होने लगा हैं। जिले वासियों को गर्मी का रंग देख मई व जून की भी चिंता सताने
 
अप्रैल माह में ही गर्मी का तेवर असहनीय, सूनी हो जा रही हैं सड़कें

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चंदौली जिले में अप्रैल माह में ही गर्मी का तेवर असहनीय होने लगा है। गर्म हवा व लू के थपेड़ों से शरीर झुलसने लगी है। खासकर दिन की दोपहरी में तल्ख धूप में घरों से बाहर निकला मुश्किल होने लगा हैं। जिले वासियों को गर्मी का रंग देख मई व जून की भी चिंता सताने लगी है।

जिले में सुबह होते ही भगवान भाष्कर का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। वहीं दिन चढ़ने के साथ ही धूप तल्ख हो जा रही है। तीखी धूप की वजह से दोपहर 12 बजे के बाद घरों से बाहर निकलना मुश्किल होने लगा है। अधिकांश लोग सुबह व शाम को ही बाजार में खरीदारी करने निकल रहे हैं। गर्म हवा से शरीर झुलसने लग रही है। मौसम का तेवर देख लोगों को अप्रैल के बाद मई व जून में प्रचंड गर्मी पड़ने का डर सताने लगा है। उधर, खेतों में गेहूं की कटाई व मड़ाई कर रहे किसानों को भी मौसम की मार सहनी पड़ रही है। चिलचिलाती धूप में खुले आसमान के नीचे किसानों को खेतीबाड़ी करनी पड़ रही है।

मौसमी फलों की बढ़ी डिमांड

गर्मी की शुरुआत होते ही बाजार में आम, तरबूज, अंगूर, खीरा व ककड़ी की दुकानें सजने लगी हैं। इन दिनों ठंडे फलों की मांग बढ़ रही है। आम, तरबूज के अलावा खीरा और ककड़ी की मांग भी खूब बढ़ी है। ककड़ी और खीरा शरीर को ठंडा रखने में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी बिक्री जोरों पर है। ककड़ी 40 रुपये प्रति किलो व खीरा 15 से 20 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

गर्मी के मौसम में घर-घर लोगों के बीमार होने का भी सिलसिला तेज हो गया। वायरल फीवर के साथ ही सर्दी-जुकाम, खांसी, पेटदर्द, उल्टी आदि की शिकायत लेकर मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल के डॉ संजय का कहना है कि इस मौसम में सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। धूप में बाहर निकलने से परहेज करें। बाजार में कटे फल व शरबत आदि का सेवन करने से भी बीमार होने की संभावना अधिक रहती है।

राहगीरों की बढ़ी मुश्किलें

गर्मी के मौसम में राहगीरों की भी मुश्किलें बढ़ गयी है। सड़क पर कहीं भी स्थायी स्टैंड नहीं होने से खुले आसमान के नीचे ही सवारी वाहनों का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन और सामाजिक संगठनों की ओर से अभी तक सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था नहीं किए जाने से लोगों को प्यास बुझाने के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।

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