अब हर दिखेगा मोहर्रम का जश्न, अज़ाख़ानों में सजने लगे अलम
माहे मुहर्रम पहली तारीख़ पर अंजुमनों और अखाड़ों ने शुरू की तैयारी
जिले और जिले से बाहर की अंजुमनें करेंगीं शिरकत
10 वीं मुहर्रम तक मातमज़नी
चंदौली जिला मुख्यालय पर मुहम्मद साहब के नवासे माम हुसैन की कुर्बानी की याद में मनाए जाने वाले पवित्र माह मुहर्रम की शुरूआत के साथ ही अज़ाख़ानों में अलम सज गए हैं।
आपको बता दें कि जिला मुख्यालय स्थित अज़ाख़ाना -ए- रज़ा में हर साल की तरह इस साल भी लगातार दस दिनों तक मजलिस और मातमजनी होगी।अज़ाखाने में चंदौली स्थित सिकंदरपुर, ऐंलही, डिग्घी, मुगलसराय समेत वाराणसी और मिर्जापुर से जुड़ी अंजुमनें भी हिस्सा लेंगी और इमाम हुसैन का खिराजे अकीदत पेश करेंगीं।
अजाखाना-ए-रज़ा की ओर से ये जानकारी देते हुए डॉ. सैयद गज़न्फर इमाम ने बताया कि इस बार मुहर्रम की मजलिस लखनऊ के प्रसिद्ध मौलाना सैयद अली कबीर हुसैनी खिताब फरमाएंगें। सोजख्वानी और पेशख्वानी के लिए भी कई प्रसिद्ध शायर तशरीफ़ ला रहे हैं। जिनमें मायल चंदौलवी, शहंशाह मिर्जापुरी, वकार सुल्तानपुरी दानिश कानपुरी, शाहिद बनारसी इत्यादि प्रमुख हैं। मुहर्रम हर साल मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है।
चौदह सौ साल इमाम हुसैन और उनके बहत्तर साथियों को करबला के मैदान में शहीद कर दिया गया था। जालिम बादशाह यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन उसकी हां में हां मिलाएं और उसकी झूठी नीतियों को सच कहें लेकिन इमाम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और झूठ के आगे घुटने टेकने की बजाय अपना सिर कटाना मंजूर किया।
उन्होने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी दुनिया भर के सभी धर्मों में सच के लिए लड़ी गई अजीमुश्शान लड़ाई के रूप में याद की जाती है।
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