दुआएं सच्चे इंसान की असली ताक़त, मौलाना कबीर हुसैनी की मजलिस
अपने दुश्मन से भी झुककर मिलना है इस्लाम की सीख
पांच मुहर्रम को निकला अलम
वैमनस्यता बढ़ाने वाले नहीं है असली मुसलमान
भाईचारा-देशप्रेम इस्लाम की शिक्षा का प्रमुख अंग
चंदौली जिले के जिला मुख्यालय पर मुहर्रम के त्योहार का एक अलग ही महत्व है। जिसमें बताया गया कि अल्लाह कभी भी इंसान के दिल से निकलने वाली सच्ची दुआओं को अनसुना नहीं करता। इस्लाम में आए नबी पैंगबरों ने हमेशा ये सिखाया है कि बस इंसान के पास मांगने का हुनर होना चाहिए ईश्वर उसे जरूर देखा पूरा करता है। दुआएं सच्चे इंसान की असली ताकत होती हैं इसलिए ये जरूरी है कि इंसान आस्था के प्रति कभी भी अविश्वासी न हो।
मुहर्रम की पांचवीं तारीख को अजाखाना ए रजा में मजलिस खिताब फरमाते हुए मौलाना अली कबीर हुसैनी ने इस्लाम के मकसद पर भी प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि भाईचारा और देशप्रेम इस्लाम की शिक्षाओं का प्रमुख अंग है। रसूले पाक का कहना था कि अपने दुश्मन से भी इतना झुककर मिलो की वो दुश्मनी भूलकर गले मिल जाए। उन्होंने रसूल हदीस और कुरान शरीफ की आयतों के जरिए बताया कि वैमनस्यता फैलाना कभी भी इस्लाम का हिस्सा नहीं रहा, जो लोग समाज को बांटने का काम करते हैं वो किसी भी सूरत में सच्चे मुसलमान नहीं हो सकते। उन्होंने अपनी हदीस के जरिए ये भी कहा कि रसूले पाक ने हमेशा देश प्रेम की वकालत की इसलिए अपने मुल्क से मुहब्बत करना हर मुसलमान का फर्ज है।
मुहर्रम की पांचवीं तारीख को अजाखाने में अलम निकला इस मौके पर मौलाना ने इमाम हुसैन के भाई हजरत अब्बास के मसायब पढ़ते हुए उनकी शहादत की दास्तान पढ़ी। हजरत अब्बास इमाम हुसैन के सौतेले भाई थे लेकिन उन्होंने करबला की लड़ाई में इमाम का कमांडर बनकर जंग लड़ी और छोटे छोटे बच्चों के लिए पानी लाने की कोशिश करते हुए शहीद हो गए। हजरत अब्बास की कहानी करबला की जंग का महत्वपूर्ण अध्याय मानी जाती है क्योंकि यजीद जानता कि बहादुर अब्बास के रहते हुए इमाम हुसैन से जंग जीतना कठिन है।
बनारस से आई अंजुमन अंसारे हुसैनी ने अपने मातमी नौहों से अजादारों को रोने के लिए मजबूर कर दिया। इस दौरान दुलहीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सिंकदरपुर समेत नगर के तमाम अज़ादार बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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