102 व 108 एंबुलेंस कर्मियों को मानदेय दिलाने के नाम पर अंधे व बहरे हो जाते हैं अफसर
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चंदौली जिले में कोविड-19 संक्रमण में हर रोज अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों को अस्पताल लाने व घर तक या किसी दूसरे अस्पताल तक ले जाने का काम करने वाले 102 व 108 एंबुलेंस कर्मियों को मानदेय देने के नाम परेशान किया जा रहा है। कभी भी समय से उनके मानदेय का भुगतान नहीं होता व अफसर व सेवा प्रदाता कंपनी अंधे व बहरे बनकर बैठे रहते हैं, जब हंगामा व बवाल होता है तो उनकी आंख खुलती है।
कर्मचारियों का कहना है कि चंदौली जिले के स्वास्थ्य महकमा इन एंबुलेंस कर्मियों से काम लेना तो जानता है, लेकिन इनके पारिश्रमिक की फिक्र इन्हें नहीं है। ऐसे में अल्प मानदेय में लोगों को अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस कर्मियों का सब्र जवाब दे गया तो उन्होंने बुधवार को मौन रहकर अपना विरोध दर्ज कराया और सीएमओ को पत्र देकर दो माह के बकाया मानदेय की मांग की।
इस दौरान एंबुलेंस कर्मियों ने कहा कि 108 व 102 एंबुलेंस कर्मचारियों का वेतन नहीं मिल रहा है, जिससे हम सभी आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हें। बताया कि एंबुलेंस का संचालन करने वाली जीवीकेईएमआरआई कम्पनी के अधिकारी हर माह सरकार को करोड़ों का चुना लगा रहे हैं।
आरोप लगाया कि कम्पनी द्वारा फर्जी बिल लगाकर सरकार से पेमेंट करवाया जा रहा है, जिससे हर माह कम्पनी को भुगतान करने में विलंब होता है। इसका खामियाजा एंबुलेंस कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। कम्पनी जानबूझकर चाहती है कि एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल करें और सरकार पर दबाव बने। यही हालात हर महीने उत्पन्न हो जाती है।
कर्मचारियों ने कमेटी के माध्यम से मुख्यमंत्री, एनएचएम व एमडी के साथ ही सेवा प्रदाता कम्पनी के अधिकारियों को 13 जुलाई को पत्र लिखकर पुनः सूचित किया कि मानदेय का भुगतान कर दिया जाए, लेकिन भुगतान नहीं हुआ।
आरोप लगाया कि नए कर्मचारियों को बंधवा मजदूर बनाकर मात्र 5480 रुपये में काम लिया जा रहा है, जो श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है और सरकार आंख मूंदं हुए है। मांग किया कि 24 घंटे में भुगतान नहीं हुआ तो हम सभी प्रदेश व्यापी कार्य बहिष्कार करने को बाध्य होंगे।
इस अवसर पर संतोष यादव, कैलाश यादव, ललित यादव, सुरेंद्र यादव, अरुण तिवारी, शिवकुमार यादव, जय सिंह आदि उपस्थित रहे।
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