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अगर ऐसा मिल जाए टीचर तो सुधर ही जाएगा बच्चों का भविष्य, बच्चों को प्रशिक्षण देकर बना रहे हॉकी खिलाड़ी

चंदौली जिले के नई बाजार के माध्यमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक अरुण रत्नाकर ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि कुछ करने का हौसला हो तो हर चुनौती छोटी पड़ जाए।  
 

सहायक अध्यापक अरुण रत्नाकर की पहल

50 छात्र-छात्राओं को खरीद कर दी हॉकी स्टिक

सुबह शाम देते हैं प्रशिक्षण

अपने हौसले से तैयार कर रहे हैं खिलाड़ियों की फौज

चंदौली जिले के नई बाजार के माध्यमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक अरुण रत्नाकर ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि कुछ करने का हौसला हो तो हर चुनौती छोटी पड़ जाए।  उनकी नियुक्ति तो सामान्य विषय के शिक्षक के रूप में हुई है लेकिन खेल में उनका बेहद लगाव है। छात्र-छात्राओं को खेल के लिए प्रोत्साहित करने के साथ प्रशिक्षण भी देते हैं। 

आपको बता दें कि अध्यापक अरुण रत्नाकर ने 50 विद्यार्थियों को अपने पैसे से हॉकी स्टिक खरीदकर दी है। इस समय वह 30 छात्राओं और 20 छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। क्षेत्र के बरठी गांव के निवासी अरुण रत्नाकर का सपना खिलाड़ी बनना था लेकिन सुविधाएं की कमी के कारण वह पूरा नहीं हो सका। इस पर उन्होंने खेल में रुचि रखने वाले बच्चों की मदद का संकल्प लिया।

माध्यमिक विद्यालय में नियुक्ति होने के बाद उन्होंने छात्र-छात्राओं को खेल के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद बच्चे खुद आगे जाने लगे। अरुण के मार्गदर्शन में विद्यालय का छात्र राजन कुमार राय का कबड्डी में प्रदेश स्तरीय टीम में चयन हो चुका है। वहीं, उन्होंने हाकी की टीम तैयार की और उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया। अरुण ने 50 खिलाड़ियों को हॉकी स्टिक खरीदकर दी। विद्यालय के मैदान को समतल कराया। फिलहाल उनकी टीम में छठी, सातवीं और आठवीं की 30 छात्राएं और 20 छात्र शामिल हैं। अरुण सुबह-शाम उन्हें प्रशिक्षण देते हैं। 

पैर टूटने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत

विद्यालय के छात्र-छात्राओं को हॉकी का प्रशिक्षण देते समय आठ महीने पहले अरुण गिर गए थे, जिससे उनका पैर फैक्चर हो गया थी। ऑपरेशन का पैर में रॉड डाला गया। डॉक्टर ने दौड़ने के लिए मना किया लेकिन ठीक होने के एक बाद वह फिर प्रशिक्षण देने लगे।

इस संबंध में बीईओ अवधेश राय ने बताया कि माध्यमिक विद्यालय नई बाजार के बच्चे खेलकूद में काफी आगे हैं। सहायक अध्यापक अरुण उन्हें हॉकी का प्रशिक्षण दे रहे हैं। इससे दूसरे खेलों को भी बढ़ावा मिल रहा है, जो सराहनीय है।


अरुण रत्नाकर का कहना है कि बचपन से हॉकी में मरी रुचि थी लेकिन तब कोई सुविधाएं नहीं थी। मैं चाहता हूं कि मेरे जिले के बच्वों को सुविधाएं मिलें ताकि वह अच्छे खिलाड़ी बन सकें। मुझसे जो संभव होगा, मैं उनकी मदद करता रहूंगा।



 

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