सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के लोकसभा क्षेत्र में आने के पहले विरोध शुरू, नेता कर रहे टिकट बदलने की मांग
प्रत्याशी बदलने को लेकर विरोध का दौर जारी
सपा कार्यकर्ता व नेता उतरे सड़क पर
सपा नेताओं ने रामकिशुन यादव की पैरवी
राष्ट्रीय अध्यक्ष से टिकट बदलने की मांग
सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह के द्वारा आज से चंदौली लोकसभा क्षेत्र में भ्रमण कार्यक्रम जारी किया गया है, जिसकी जानकारी मिलते ही चंदौली जिले में सपा के उम्मीदवार का विरोध शुरू हो गया है। गांवों के साथ-साथ पूर्व विधायक गंजी प्रसाद यादव की मूर्ति के पास भी गुरूवार को विरोध प्रदर्शन जारी रहा। हो सकता है कि आज सपा प्रत्याशी का भी विरोध हो।
चंदौली जिले में लोकसभा चुनाव को लेकर सपा द्वारा पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किए जाने पर क्षेत्र के नेताओं एवं समर्थकों में आक्रोश देखा जा रहा है। वहीं कहा जा रहा है कि ऐसे नेता को लोकसभा लगाया जा रहा है जो बसपा, भाजपा ,कांग्रेस और अब सपा में अपने किस्मत को आजमाने में लगे हैं। सपा नेता दबे स्वर में विरोध कर रहे, लेकिन कार्यकर्ता तो सड़क पर भी विरोध करना शुरू कर दिए हैं। सपा कार्यकर्ता यह भी कहते है कि जिसे क्षेत्र के बारे में कुछ भी पता नहीं है उसे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा विश्वास किया जा रहा है और जो इस क्षेत्र में लगातार लोगों के दुख सुख में खड़ा होने तथा समस्याओं को लेकर लड़ने का कार्य कर रहे हैं उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा दरकिनार कर दिया गया है।
सपा नेताओं का कहना है कि गलत लोगों के हाथ में यदि लोकसभा का टिकट जाता है तो पार्टी की हार तय है। क्योंकि चंदौली में चुनाव लड़ने के लिए बाहर से आने वाले नेताओं को चंदौली की भौगोलिक स्थिति की जानकारी नहीं होती है।
इस संबंध में मुगलसराय के कार्यकर्ताओं द्वारा पूर्व सांसद रामकिशुन को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर मुगलसराय में गंजी प्रसाद के चौराहे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया है।
वहीं जनपद के बड़े नेताओं का कहना है कि अभी तो प्रत्याशी की सूची जारी की गई है। अभी किसी को सिंबल नहीं दिया गया है। इसलिए सपा नेता अभी भी टिकट के बदलाव को लेकर आश्वस्त हैं। नेताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बाहरी प्रत्याशी संजय चौहान को सपा बसपा के गठबंधन में टिकट दिया गया था, तो उसे हारना पड़ा था। ऐसी गलती सपा दोहरा रही है। बाहरी नेताओं को टिकट देकर राष्ट्रीय अध्यक्ष पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए। गलत नेता के हाथ में टिकट जाने से क्षेत्र के कार्यकर्ताओं व नेताओं का जोश कम होता है और मनोबल गिरता चला जा रहा है।
अब देखना है कि इस विरोध को देखते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा किस प्रकार का फैसला लिया जाता है। इस लोकसभा चुनाव में लोकल नेता को टिकट देकर मैदान में उतरा जाता है या सभी दल में किस्मत आजमाने वाले बाहरी प्रत्याशी को ही इस बार सपा के बैनर तले किस्मत आजमाने का मौका दिया जाता है।
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