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इस हिसाब से कब होना चाहिए रक्षाबंधन, तय हो गया सही समय और तरीका

निर्णयामृत ग्रंथ  के अनुसार भद्रा का अन्त यदि रात्रि में हो रहा हो तो रात्रि में ही रक्षाबंधन करना चाहिये। इस प्रकार रात्रि में रक्षाबंधन किया जा सकता है, इसमें कोई अवरोध नहीं है। 
 

इस समय रक्षाबंधन करना सर्वोत्तम

क्या है शास्त्र सम्मत नियम

जानिए पूरी सटीक जानकारी

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि और भद्रा व्याप्ति के अनुसार अनुकूल समय न प्राप्त होने से समाज में प्रायः रक्षाबंधन के समय में विवादित स्थिति उत्पन्न हो गयी है ।जिसका समाधान करने की आवश्यकता है पंडित सभा के‌ विद्वानों द्वारा इस विषय पर चर्चा के दौरान प्राप्त तथ्य इस प्रकार हैं।
     
पूर्णिमा तिथि का मान- इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त 2022 बृहस्पतिवार को प्रातः 9.35 से 12 अगस्त 2022 शुक्रवार को प्रातः काल 7.17 तक व्याप्त है। 
  
भद्रा -- इसमें पूर्णिमा प्रारंभकाल से अर्थात्  11 अगस्त को सुबह 9.35 से भद्रा भी प्रारंभ होकर रात में 8.25 बजे तक भद्रा की स्थिति रहेगी।
 
भद्रा में वर्जित कार्य -- 
 भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।
 श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी।।      (निर्णयसिन्धु) 

     
 भद्रा में श्रावणी उपाकर्म अथवा  रक्षाबंधन तथा  होलिकादाह नहीं करना चाहिये। भद्रा में रक्षाबंधन करने से राजा को हानि होती है और भद्रा में होलिका दहन करने से गांव में अग्नि लगने का भय होता है, इस सिद्धांत से रक्षाबंधन या श्रावणी उपाकर्म  भद्रा में नहीं करना चाहिये। 

क्या रात्रि में रक्षाबंधन करना चाहिए --

इस प्रश्न के समाधान में निर्णयामृत का यह वाक्य द्रष्टव्य है --
       
तत्सत्वे तु रात्रौ-अपि  तदन्ते कुर्यात्  इति निर्णयामृते।

निर्णयामृत ग्रंथ  के अनुसार भद्रा का अन्त यदि रात्रि में हो रहा हो तो रात्रि में ही रक्षाबंधन करना चाहिये। इस प्रकार रात्रि में रक्षाबंधन किया जा सकता है, इसमें कोई अवरोध नहीं है। 

Rakshabandhan 2022 Date and Timing

क्या 12 अगस्त 2022 शुक्रवार को प्रातः काल पूर्णिमा रहते रक्षाबंधन कर सकते हैं.. इस प्रश्न के समाधान में यह वाक्य महनीय भूमिका निर्वहन करता है -

 (इदं तु प्रतिपद्-युक्तायां न कार्यम् इति निर्णयामृते रक्षाबंधन प्रतिपदायुक्त पूर्णिमा में नहीं करना चाहिये ) साथ ही 6 घटी से न्यून पूर्णिमा होने पर रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए यह सिद्धांत भी 12 अगस्त को रक्षाबंधन का बाधक है, क्योंकि 12 अगस्त को 4घटी 24 पर ही है जो कि 6 घटी से बहुत कम है। इसके अनुसार  इस वर्ष 12 अगस्त को रक्षाबंधन या श्रावणी उपाकर्म करना ठीक नहीं हैं।) 

उक्त तथ्यों से यह स्पष्ट हो गया कि इस वर्ष रक्षाबंधन और शुक्ल यजुर्वैदिकों का श्रावणी उपाकर्म 11 अगस्त 2022 बृहस्पतिवार को ही मनाया जाना चाहिए। 

 श्रावणी उपाकर्म कब करें --

श्रावणी उपाकर्म के लिए संगवकाल अर्थात् सूर्योदय से 6घटी तक का समय  अर्थात् 11 अगस्त को सूर्योदय से लगभग ८बजे तक का समय संगवकाल होगा। इस समय में पूर्णिमा तिथि प्राप्त नहीं है। मुख्यकाल में यदि कर्म न संभव हो तो गौड़ काल में ही करना चाहिए। किन्तु कर्म का लोप ठीक नहीं है। इस तर्क के अनुसार 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के आने पर श्रावणी उपाकर्म होना चाहिए, किन्तु उस समय भद्रा है और इस दिन उषा.से श्रवणनश्रत्र विद्ध भी हो रहा है। अतः समय की पूर्ण शुद्धता नहीं है, तथापि कर्म त्याग अनुचित है। अतः पूर्वान्ह और मध्यान्ह व्यापिनी पूर्णिमा 11अगस्त को श्रावणी उपाकर्म करना चाहिए। 

अब भद्रा विचारणीय है ,यद्यपि श्रावणी में भद्रा परिहार करके कर्म समुचित नहीं है तथापि देशकाल और परिस्थिति के अनुसार यहां भद्रा परिहार मान लेना ही बुद्धिमत्ता है...
1-स्नान कर्म में भद्रा का दोष नहीं होता 
2-जब भद्रा दिन से प्रारंभ होकर रात तक हो और रात से प्रारंभ होकर दिन तक हो तो भद्रा दोषप्रद नहीं होती 
3-जब भद्रा स्वर्ग अथवा पाताल में हो तो भद्रा का दोष नहीं होता (ये तीनों परिहार विद्यमान हैं)--इन परिहारों को ध्यान में रखते हुए 11 अगस्त को पूर्णिमा लगने पर प्रातः काल 9.35 बजे के बाद श्रावणी उपाकर्म करना चाहिए। 

 रक्षाबंधन कब करें ---निर्णय 
 रक्षाबंधन का उत्तम समय- 
उक्त सभी सिद्धान्तों को ध्यान में रखते हुए रक्षाबंधन का उत्तम समय 11 अगस्त बृहस्पतिवार को रात 8.25 के बाद 11.30 बजे रात तक का सिद्ध होता है।

 रक्षाबंधन का मध्यम या सामान्य समय-- 
जबकि रक्षाबंधन का मध्यम समय भद्रा पुच्छकाल में (मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार भद्रा की अंतिम तीन घटी अर्थात् एक घंटे बारह मिनट भद्रा पुच्छ होता है ) अर्थात् 11 अगस्त को सायंकाल 7.13 बजे से ही प्रारंभ होता है। 
 
 रक्षाबंधन का आपत् काल (अति आवश्यक होने पर ) 

भद्रा परिहार का अनुपालन करते हुए 11 अगस्त को 12 बजे दिन के बाद ( अपरान्हे शुभदा भद्रा के अनुसार ) से रक्षाबंधन किया जा सकता है।

(सौजन्य से... डा. राममिलन मिश्र एवं डॉ राम चन्द्र शुक्ल..अध्यक्ष -अखिल भारतीय प्रयाग पंडित )

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