ऐसे शुरू हुयी थी बाबा कीनाराम के जन्मोत्सव को मनाने की परंपरा, जानिए 4 दशकों का इतिहास
1979 में रामगढ़ गांव के लोगों ने लिया संकल्प
988 में रामगढ़ के प्रधान धनंजय सिंह का खास योगदान
2000 में मिला इसको भव्य विस्तार
अब होता होता है 3 दिवसीय कार्यक्रम
चंदौली जिले में बाबा कीनाराम का 424वां जन्मोत्सव समारोह 13 से 15 सितंबर 2023 के बीच धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए बाबा कीनाराम के मठ स्थल और उसके आसपास तैयारियां तेज हो गई हैं। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि बाबा के जन्मोत्सव मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई और इसके लिए लोगों ने रामगढ़ के मठ को ही क्यों व कैसे चुना गया।
जानकारी के अनुसार पहले जन्मोत्सव कार्यक्रम समारोह आज से लगभग 44 साल पहले 1979 में शुरू हुआ, तब रामगढ़ गांव के ही कुछ लोगों ने बाबा कीनाराम सेवा समिति का गठन का क्षेत्रीय कलाकारों के माध्यम से इस स्थान को भव्य बनाने का संकल्प लिया। 1982 आते-आते इस कार्यक्रम को एकदिवसीय समारोह के रूप में मनाया जाने लगा, जिसमें अगली सुबह तक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे और लोग भजन कीर्तन पूजा पाठ करते रहते थे।
इसके बाद 1988 में रामगढ़ के प्रधान धनंजय सिंह ने इस कार्यक्रम को विस्तार देने की योजना बनाई और इस समय बाबा कीनाराम के वर्तमान मंदिर की नींव रखी गई। मंदिर निर्माण कार्य के साथ-साथ इस कार्यक्रम को भी भव्य बनाने की तैयारी शुरू हुई। 1990 में जन्मोत्सव कार्यक्रम दो दिवसीय स्वरूप में मनाया जाने लगा। इसके बाद 1998 में सीलिंग एक्ट से मठ को बचाने के लिए बाबा कीनाराम सेवा समिति को भंग करके बाबा कीनाराम अघोर पीठ समिति का गठन किया गया।
सन 2000 में इस कार्यक्रम को और विस्तृत बनाने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रमों की परंपरा शुरू की गई। उसके बाद से उनका जन्मोत्सव कार्यक्रम तीन दिन का आयोजित होने लगा। तब से लगातार तीन दिवसीय परंपरा की शुरुआत हो गई है। पहले यह कार्यक्रम मठ परिसर के साथ-साथ इंटर कॉलेज के परिसर में भी खेलकूद प्रतियोगिता के रूप में आयोजित होता था। 2012 से 2014 तक पड़ाव के भगवान अवधूत के बाबा संभव राम जी की दिशा निर्देशन में जन्मोत्सव कार्यक्रम मनाया गया। 2015 से अब तक वाराणसी के अस्सी घाट स्थित क्रीं कुंड और रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम मठ के पीठाधीश्वर महंत अघोराचार्य सिद्धार्थ गौतम राम जी के सानिध्य में तीन दिवसीय जन्मोत्सव कार्यक्रम मनाया जाता है और इस साल भी इसे भव्य रूप से मनाए जाने की तैयारी है।
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