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चैत्र नवरात्रि में इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना, मनोकामना को पूर्ण करने के लिए करें पूजा-अर्चना

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के त्योहार को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस वर्ष 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो गयी है।
 

चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व

यह है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

इन मंत्रों का करें उच्चारण

हमारे हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। एक वर्ष में कुल चार नवरात्रियां आती हैं, पहली चैत्र नवरात्रि, दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि को गिना जाता है। सभी का अपना अपना महत्व है और इन दिनों में पूजा पाठ व साधना का खास महत्व होता है।

हमारे देश के हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ होने के साथ ही नया हिंदू वर्ष भी आरंभ होता है। चैत्र नवरात्रि पर लगातार 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना और मंत्रोचार किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी लोक आती है और अपने सभी भक्तों की हर एक मनोकामना को पूर्ण करती हैं।

 इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व  आज 9 अप्रैल, दिन मंगलवार से शुरू हो रहा है और समापन 17 अप्रैल को राम नवमी के दिन बुधवार को होगा। तो आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि पर पूजा और कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि ताकि हम विधि विधान से नवरात्रि की पूजा कर सकें......

चैत्र नवरात्रि तिथि 2024
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के त्योहार को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस वर्ष 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो गयी है, यह अगले दिन यानी 9 अप्रैल 2024 को रात को 8 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो गया है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग रहेगा। वैदिक ज्योतिष में इन योगों में पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है।

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से आरंभ हो रहे हैं। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि पर्व पर देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व शुरू होता है। नवरात्रि के पहले दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए करना शुभ माना जाता है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक 9 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक पंचक रहेगा। यानी पंचक के समाप्त के बाद घट स्थापना करना शुभ रहेगा। 9 बजकर 11 मिनट पर अशुभ चौघड़िया रहेगा इस कारण से इस समय घट स्थापना न करें।

पंचांग की गणना के मुताबिक शुभ चौघड़िया 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस शुभ मुहू्र्त में कलश स्थापना कर सकते हैं। 9 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, क्योंकि यह अभिजीत मुहूर्त है। कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है। इसके अलावा इस समय वैघृत योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग भी रहेगा। ऐसे में घटस्थापना, पूजा का संकल्प लेना और मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी रहेगा।

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:31 से 5: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 2:30 से दोपहर 3: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 6:42 से शाम 7: 05 तक

अमृत काल:  रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल:  रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 7:32 से शाम 5: 06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 7:32 से शाम 5: 06 तक

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना पूजा विधि
नवरात्रि पर मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर 9 दिनों तक उपवास रखा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन सुबह घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम या अशोक के ताज़े पत्तों का तोरण लगाएं।  इस दिन सुबह स्नानादि करके माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें। उसके बाद माता के समक्ष मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं,जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं।

माँ की आराधना के समय यदि आपको कोई भी मन्त्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से पूजा कर सकते हैं व यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें। देवी को श्रृंगार का सामान और नारियल-चुन्नी जरुर चढ़ाएं ।अपने पूजा स्थल से दक्षिण-पूर्व की तरफ घी का दीपक जलाते हुए 'ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्र जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तुते' यह मंत्र पढ़ें और आरती करें। देवी माँ की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाएं।

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