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आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र के शानदार टिप्स, घर के मुखिया को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

जीवन में कुछ लक्ष्य ऐसे होते हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए इंसान तरह-तरह की परेशानियों से गुजरता है। इस दौरान कुछ लोग हार मान लेते हैं, तो कुछ इन परिस्थितियों का सामना करते हैं।
 

जीवन में कुछ लक्ष्य ऐसे होते हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए इंसान तरह-तरह की परेशानियों से गुजरता है। इस दौरान कुछ लोग हार मान लेते हैं, तो कुछ इन परिस्थितियों का सामना करते हैं। सामना करने की शक्ति हमेशा परिवार से मिलती हैं, क्योंकि बिना किसी लालच के जो ढाल बनकर खड़ा रहे उसी का नाम तो 'परिवार' है। 


आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में एक अच्छे परिवार का उल्लेख किया है। उनका मानना है कि अच्छा परिवार होने से बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है और इससे एक अच्छे समाज का भी निर्माण होता है। इसमें घर के मुखिया की भूमिका बेहद खास होती हैं।


यदि घर का मुखिया सर्वगुण सम्पन्न हो तो, परिवार के सभी सदस्य तरक्की करते हैं। लेकिन मुखिया में कुछ खराब आदतें या खामियां होने से परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मुसीबतों का स्तर भी धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। इसी कड़ी में आइए जान लेते हैं कि घर के मुखिया में क्या गुण नहीं होने चाहिए।


घर के मुखिया में नहीं होने चाहिए ये गुण

 
आचार्य चाणक्य का मानना है कि घर के मुखिया को हमेशा अपने भाइयों से अच्छे संबंध रखने चाहिए। यदि परिवार में भाईचारा होता है, तो पूरा परिवार एक दूसरे की ताकत बन जाता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो घर में नकारात्मकता का वास होने लगता है।

घर के मुखिया को सर्वप्रथम खुद नियमों का पालन करना चाहिए, तभी इसका प्रभाव लोगों पर होता है। कई बार घर के बड़े लोग सबके लिए नियम कानून बना देते हैं, लेकिन खुद उसपर अमल नहीं करते। ऐसे घर में खुशियों का वास ज्यादा दिन तक नहीं रहता। इसलिए हमेशा सदस्यों के साथ-साथ खुद भी नियमों का पालन करें और सबके लिए प्रेरणास्रोत बनें। 

यदि घर का मुखिया अन्न की बर्बादी करता है, तो घर में बरकत रुक जाती है। चाणक्य के अनुसार मुखिया को घर की सभी चीजों की जिम्मेदारी को समझना चाहिए। साथ ही अन्न, जल धन की बर्बादी नहीं करने से बचना चाहिए अन्यथा आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। 

चाणक्य के अनुसार यदि परिवार में मनमुटाव हो जाए तो मुखिया का दायित्व होता है ,उसे सुलझाना! घर के मुखिया को किसी से भी भेदवाभ नहीं करना चाहिए। परिवार में चल रही कलह को बातचीत के माध्यम से समाप्त करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो सभी के बीच फूट पड़ जाती है।

चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को परिवार की जरूरतों का ध्यान रखते हुए पैसों को खर्च करना चाहिए। साथ ही अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत करनी चाहिए। यदि वह फिजूल खर्च करता है, तो घर में हमेशा पैसों की कमी बनी रहती है और बरकत भी नहीं होती है।

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