गंगाजल में छिपे हैं कई लाभकारी राज, ये हैं सुख-समृद्धि पाने के जरुरी उपाय
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर मां गंगा की उपासना करने से विशेष लाभ मिलता है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। गंगाजल को शुद्धि, पवित्रता और मोक्ष का संकेत माना जाता है। इस वर्ष गंगा दशहरा का त्योहार 16 जून, रविवार के दिन मनाया जाएगा। गंगा दशहरा पर गंगाजल से जुड़े कुछ उपाय करने से कई प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं, आइए जानते हैं।
यदि घर में वास्तुदोष है और आप उससे परेशान रहते हों तो अपने घर में नियमित गंगाजल का छिड़काव करें। ऐसा नियमित रूप से करने पर वास्तु दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है और घर पर सकारात्मक ऊर्जा आती है। घर में गंगाजल का सदैव छिड़काव करना चाहिए।
यदि पारिवारिक सदस्यों में क्लेश रहता है तो प्रतिदिन सुबह सारे घर में गंगाजल का छिड़काव करें,ऐसा नित्यप्रति करें। इस उपाय से घर की नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मकता का माहौल बनता है।
यदि वास्तुदोष के कारण आपके घर में परेशानियां आ रही हों तो आप गंगाजल को पीतल की बोतल में भरें और उसे अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा में रख दें। इससे आपकी समस्या जल्द हल हो जाएगी।
गंगाजल को हमेशा अपने पूजा स्थल और किचन के उत्तर-पूर्व में रखें, धीरे-धीरे आपको तरक्की और सफलता मिलने लगेगी। जिस घर में गंगाजल रखा होता है वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है ,उस घर में सुख समृद्धि पाई जाती है।
गंगाजल विज्ञान के लिए भी चमत्कार है क्योकि यह सालों तक बोतल में रहने के बाद भी खराब नही होता। ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति रोज गंगाजल पीता है वह निरोगी रहता है और अधिक उम्र तक जीवन व्यतीत करता है। ग्रन्थों में बताया गया है की गंगा जल बुद्धि बढ़ाने वाला और पाचक तंत्र को मजबूत करने की शक्ति रखता है।
यदि सोमवार की शिव पूजा में आप शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करेंगे तो भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न होंगे। और जीवन से सभी विकार नष्ट हो जाएंगे।इसी प्रकार हर शनिवार एक लोटे में साफ जल भरें और उसमें थोड़ा सा गंगाजल डाल लें ये जल पीपल को चढ़ाएं ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
गंगाजल को रखने के नियम
मान्यता है कि गंगाजल को कभी भी प्लास्टिक के डब्बे या बोतल में नहीं रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पूजा-पाठ में प्लास्टिक का प्रयोग अपवित्र मानकर नहीं किया जाता है। इसलिए इस पवित्र जल को हमेशा तांबे या पीतल से बने धातु के बर्तन में रखना चाहिए।
सनातन धर्म में गंगा जल को सबसे पवित्र जल माना जाता है, इसलिए इस जल को कभी भी अशुद्ध स्थान पर नहीं रखना चाहिए। साथ ही भूलकर भी इसे अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए। हो सके तो इस जल को हमेशा पूजा घर या ईशान कोण में रखें,लाभ होगा।
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