शादी के बाद पहली बार रख रही हैं हरियाली तीज का व्रत, तो इस विधि से करें पूजा, वैवाहिक जीवन में बनी रहेगी सुख-समृद्धि
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं से जुड़े सभी व्रत और त्योहारों को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इन उपवासों को रखने से सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में भी सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। इनमें से हरियाली तीज के पर्व को सबसे खास माना जाता है।
हरियाली तीज को हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महादेव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस दिन हरे रंग की चूड़ियां और मेहंदी लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए उपवास रखती हैं। वहीं शादी के बाद पहली बार इस उपवास को रखने का एक अलग महत्व होता है। इस दिन नवविवाहिता को पूजा में सोलह श्रृंगार के साथ बैठना चाहिए।
इस दौरान की जाने वाली आराधना हमेशा संपूर्ण विधि के साथ करनी चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि पहली बार हरियाली तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को किस विधि से पूजा करनी चाहिए।
कब है हरियाली तीज 2024 ?
हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है। इस तिथि की शुरुआत 6 अगस्त 2024 शाम 7 बजकर 42 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 7 अगस्त 2024 को रात 10 बजे होगा।
हरियाली तीज की पूजा विधि
शादी के बाद यदि आपकी पहली हरियाली तीज है, तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें। इस दौरान पूजा से पहले सोलह श्रृंगार से अपने को तैयार कर लें। फिर पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें। चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। फिर इस पर भगवान शिव और उनके परिवार की मूर्तियां स्थापित करें। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं।
धीरे-धीरे पूजा की सभी सामग्रियों को भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करते रहें। फिर तीज व्रत की कथा सुनें और आरती करें। आरती के बाद खुशहाल जीवन की कामना करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद लें।
हरियाली तीज पूजन सामग्री
पहली बार हरियाली तीज व्रत की पूजा के लिए कुछ खास सामग्रियों को शामिल करें। इनमें शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही और मिश्री को शामिल करें। इसके बाद पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शहद और पंचामृत को भी रखें।
इस दौरान सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजों को भी रख सकते हैं।
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