जानें आखिर क्यों भोलेनाथ को प्रिय है बेलपत्र, चढ़ाने से पहले जान लें ये नियम
माना जाता है कि जो भक्त सावन के पूरे महीने नियमित तौर पर शिव पूजा करता है और बेलपत्र चढ़ाता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
सावन का महीना चल रहा है जो भगवान शंकर को समर्पित है। इस माह में शिवजी के जलाभिषेक और बेलपत्र चढ़ाने का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि जो भक्त सावन के पूरे महीने नियमित तौर पर शिव पूजा करता है और बेलपत्र चढ़ाता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं अगर हर दिन पूजा न हो सके तो सावन सोमवार को तो विशेष तौर पर शिव पूजा की जाती है, उनका जलाभिषेक किया जाता है और उन्हें बेलपत्र चढ़ाया जाता है। अब यहां सहज ही सवाल उठता है कि आखिर बेलपत्र में ऐसी क्या विशेषता है कि वह शिवजी को इतना प्रिय है?
समुद्र मंथन से जुड़ी है ये पहली कथा
समुद्र मंधन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो उसके असर से सृष्टि का विनाश होने लगा। इसे रोकने के लिए महादेव ने हलाहल को पीकर अपने कंठ में रोक लिया। इसकी वजह से उन्हें बहुत जलन होनी शुरू हो गई और उनका कंठ नीला पड़ गया। तब देवताओं ने उनकी जलन को कम करने के लिए उन्हें बेलपत्र देना शुरू किया क्योंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है। देवताओं द्वारा दिये गए बेलपत्र को महादेव चबाने लगे।
साथ ही उनके सिर को ठंडा करने के लिए उन्हें जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत हो गई। तभी से महादेव पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
मां पार्वती से जुड़ी है ये दूसरी कथा
इस कथा के अनुसार एक बार मां पार्वती ने अपने ललाट से पसीना पोंछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी का वास माना गया है। यही कारण है कि शिवजी को बेलपत्र अति प्रिय है।
बेलपत्र चढ़ाने से पहले जान लें ये नियम
भोलेनाथ को बेलपत्र अति प्रिय है और ऐसा क्यों है यह तो हम जान गए पर यहां यह भी जानना जरूरी है कि बेलपत्र को चढ़ाने में किसी तरह की कोई गलती नहीं होनी चाहिए क्योंकि शिवजी अगर जल्दी प्रसन्न होते हैं तो उनका क्रोध भी प्रलयकारी होता है।
तो बेलपत्र चढ़ाने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि इसे चढ़ाते समय किन बातों पर ध्यान देना चाहिए और किन गलतियों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए जिससे कि हमें अपनी पूजा का पूरा फल मिल सके।
-सबसे पहले तो यह जान लें कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय सबसे पहले बेलपत्र की दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है। भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
-जब भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से ही चढ़ाएं।
- शिव जी को बेलपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं। इससे उन्हें ठंडक का एहसास होगा औ आपको अपनी पूजा का पूरा फल मिलेगा।
- बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला गुच्छा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इसके मूलभाग में सभी तीर्थों का वास होता है।
- बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ती है। कटी-फटी पत्तियां कभी न चढ़ाएं क्योंकि उन्हें अशुद्ध माना जाता है।
-बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
- कुछ तिथियों को बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
इन नियमों को ध्यान में रखकर जब आप शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएंगे तो आपकी पूजा शीघ्र फलित होगी और भोलेनाथ आपको मनचाहा वरदान भी देंगे।
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