नागपंचमी पर यूं करेंगे नाग देवता की पूजा तो धन-धान्य से भर जाएंगे भंडार, जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि
सर्प भगवान शंकर को प्रिय है और नाग देवता वासुकि तो भोलेनाथ के गले की शोभा बढ़ाते हैं। तो महादेव के प्रिय नागों की पूजा भी सावन में ही की जाती है
नागपंचमी के दिन भगवान शिव के साथ ही नाग देवता की भी पूजा की जाती है और माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ के साथ नाग देवता का भी आशीर्वाद मिलता है। इस साल नागपंचमी का ये पावन पर्व 13 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा।
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस पूरे महीने उनकी विशेष पूजा की जाती है। सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है, कष्टों से मुक्ति पाने के लिए कई तरह के उपाय किये जाते हैं। वहीं सावन में ही मां पार्वती की पूजा भी की जाती है मंगलवार को और मंगला गौरी व्रत भी रखा जाता है। हरियाली तीज भी शिव-पार्वती की पूजा का ही पर्व है। ऐसे ही सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है और नाग देवता की पूजा की जाती है।
सर्प भगवान शंकर को प्रिय है और नाग देवता वासुकि तो भोलेनाथ के गले की शोभा बढ़ाते हैं। तो महादेव के प्रिय नागों की पूजा भी सावन में ही की जाती है और इस दिन भगवान शिव के साथ ही नाग देवता की भी पूजा की जाती है और माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ के साथ ही नाग देवता का भी आशीर्वाद मिलता है। इस साल नागपंचमी का ये पावन पर्व 13 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा।
नागपंचमी का महत्व
हिंदू धर्म में पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता मानकर उन्हें पूजा जाता है। नागपंचमी के दिन तो विशेष रूप से नागों की पूजा होती है। माना जाता है कि नागपंचमी की पूजा से जहां संकटों से मुक्ति मिलती है वहीं घर में धन का आगमन होता है। साथ ही इस दिन पूजा करके कालसर्प दोष व राहु-केतु के दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। कहते हैं कि नागपंचमी पर पूजा करने से नाग देवता स्वयं भक्त के घर-परिवार की रक्षा करते हैं और उस घर के लोगों को सर्प दंश का भय भी नहीं रहता। नाग पूजा संतान प्राप्ति हेतु की जाती है। ‘ओम कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ का जाप भी शुभ माना जाता है। राहु और केतु की खराब दशा से गुजरने वालों को भी यह पूजा शुभ फल प्रदान करेगी।
नागपंचमी पर होती है इन 12 नागों की पूजा
नागपंचमी के दिन सर्पों को दूध अर्पित किया जाता है औ उनकी पूजा की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार इन 12 नागों की पूजा का विशेष महत्व है जो इस प्रकार है अनंत, वासुकि, शेष, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल। इनकी पूजा से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
नागपंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ - 12 अगस्त 2021 दिन गुरुवार दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से
पंचमी तिथि समापन - 13 अगस्त 2021 दिन शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त - 13 अगस्त 2021 को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक
नागपंचमी पर ऐसे करें नाग देवता की पूजा
- नागपंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य के कामों से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए।
-इसके बाद सबसे पहले घर के दरवाजे पर मिट्टी, गोबर या गेरू से नाग देवता का चित्र अंकित करना चाहिए।
-फिर नाग देवता दूर्वा, कुशा, फूल, अक्षत, जल और दूध चढ़ाना चाहिए।
-नाग देवता को सेवईं या खीर का भोग लगाया जाता है। सांप की बांबी के पास दूध या खीर रख देना चाहिए।
-नाग पंचमी पर नागों को दूध से नहलाने का विधान है न कि उन्हें दूध पिलाने का। दूध पीना वैज्ञानिक रूप से सांपों के लिए नुकसान दायक होता है, इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए।
-इस दिन नाग देवता का दर्शन करना शुभ माना जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों के संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए।
- इस दिन अष्टनागों के इस मंत्र का जाप करना चाहिए ...
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनंजयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
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