16 अक्टूबर 2021 : पापंकुशा एकादशी व्रत कथा, शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि व महत्व
पापंकुशा एकादशी व्रत कथा
शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि व महत्व
सनातन धर्म में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है। प्रत्येक माह में दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी का व्रत किया जाता है। प्रत्येक एकदशी की तिथि जगत पालनकर्ता श्री हरि विष्णु को समर्पित की जाती है किंतु हर एकादशी का अपना एक अलग होता है।
अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापंकुशा एकादशी कहा जाता है। कल दशमी तिथि को दशहरा के अगले दिन 16 अक्टूबर को 2021 दिन शनिवार को रखा जाएगा, लेकिन हर एकादशी की तरह इस एकादशी के नियम भी दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं एकादशी व्रत कथा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
पापंकुशा एकादशी व्रत कथा -
शास्त्रों के अनुसार एक बार विध्यांचल पर्वत पर क्रोधना नामक एक क्रूर शिकारी वहां रहता था। उसने अपने जीवन में सारे बुरे कर्म ही किए। जब उसका अंतिम समय आया तो यमराज के दूत उसे लेने के लिए आए और बोला कि तुम्हारा अंतिम समय आ गया है अब हम कल तु्म्हें लेने आएंगे। लेकिन क्रोधना मौत से बहुत डरता था। इसलिए यमराज के दूतों की बात सुनकर वह बहुत घबरा गया और एकदम से वह अंगारा नाम के ऋषि के पास जा पहुंचा। वहां जाकर उसने मदद की अपील की।
क्रोधना की बात सुनकर ऋषि ने उसे पापांकुशा एकादशी के महत्व के बारे में बताया और ये एकादशी का व्रत करने की बात कही। ऋषि ने बताया कि क्रोध न करते हुए पूरी श्रद्धा के साथ अगर विष्णु जी की आराधना की जाए और व्रत रखा जाए, तो समस्त पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। क्रोधना ने ऋषि अनुसार व्रत रखा और अपने सारे पापों से छुटकारा पा लिया। व्रत रखने से वे विष्णु लोक को गया।
पापकुंशा एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त और व्रत पारण समय-
अश्विन मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ-15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से
अश्वनि मास शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त-16 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्ति समय- 17 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर
एकदाशी व्रत पारण का समय-प्रातः 06 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 40 मिनट
पापंकुशा एकादशी का महत्व-
धार्मिक मान्यता के अनुसार पापकुंशा एकादशी का व्रत नियम और निष्ठा के साथ करने से पापों का नाश होता है और मनुष्य को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य में सद्गुणों का समावेश होता है व कठोर तप करने के समान फल की प्राप्ति होती है।
पापंकुशा एकादशी व्रत, पूजा विधि-
दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन कर लें, सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें।
अब एक पाटे पर एक कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
पास ही में कलश में जल भरकर स्थापित करें।
अब धूप-दीप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु का तिलक करें।
फल-फूल आदि अर्पित करते हुए विधि पूर्वक पूजन करें।
एकादशी महात्मय की कथा पढ़ें, इसके बाद आरती करें।
अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करें।
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