ऐसी है श्राद्ध की महिमा : जानिए इसका वैदिक और पौराणिक वर्णन व पितृ दोष दूर करने के सरल उपाय
आयुः पूजां धनं विद्यां स्वर्ग मोक्ष सुखानि च।
प्रयच्छति तथा राज्यं पितरः श्राद्ध तर्पिता।।
कहा जता है कि श्राद्ध पक्ष वास्तव में पितरों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा भाव प्रदर्शित करने और नयी पीढी को समृद्ध भारत देश की प्राचीन वैदिक और पौराणिक संस्कृति से अवगत करवाने का पर्व है। इस दौरान हमें अपनी पुस्तैनी विरासत को स्मरण करने का मौका मिलता है। यह एक रस्म जरूर है पर हमें अपने पूर्वजों को याद करके उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देने का काम करते हैं। श्राद्ध करने से कर्ता पितृ ऋण से मुक्त हो जाता है तथा पितर संतुष्ट रहते हैं, जिससे श्राद्धकर्ता व उसके परिवार का कल्याण होता है। पितर संतुष्ट होकर उन्हें आयु, संतान, धन, स्वर्ग, राज्य मोक्ष व अन्य सौभाग्य प्रदान करते हैं।
ज्योतिष मान्यता के अनुसार जन्म कुंडली में पितृ दोष को सबसे जटिल दोष माना गया है और इसका शुद्ध निवारण श्राद्ध के दिनों में ही संभव है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है। यह दोष जातक को उसके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रकार के कष्टों से पीड़ित करता रहता है।
कहा जाता है कि यदि आपकी जन्मकुण्डली में यदि चंद्र पर राहु केतु या शनि का प्रभाव होता है तो जातक मातृ ऋण से पीड़ित होता है...
ऐसे पहचानें पितृ दोष
संतान होने में विलम्ब होना, संतान का बिगड़ना, संतान का बुरी संगत में पड़ना, पढ़ाई में विघ्न-बाधाओं का आना, अच्छी नौकरी नहीं मिल पाना, नौकरी या व्यापार स्थल पर हमेशा विवाद बने रहना, नौकरी-व्यापार का सही तरीके से नहीं चलना, घर में ज्यादा क्लेश रहना व अक्सर झगड़ा होते रहना, बच्चों का माता पिता से सम्बन्ध बिगड़ना, बड़ों का सम्मान नहीं होना, अनावश्यक धन का बर्बाद होते जाना, व्यापार-प्रॉपर्टी में नुकसान होते रहना, दिमाग में टेंशन बने रहना, वंश आगे नहीं बढ़ने का संकेत मिलना, धन की कमी बने रहना..जैसे कई लक्षण होते हैं।
पितृ दोष दूर करने के सरल उपाय
1. जिन व्यक्तियों के माता-पिता जीवित हैं, उनका आदर-सत्कार करना चाहिए। भाई-बहनों का भी सत्कार आपको करते रहना चाहिए। धन, वस्त्र, भोजनादि से सेवा करते हुए समय-समय पर उनका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।
2. ब्राह्मण को भोजन कराए या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, शक्कर, सब्जी और दक्षिणा दान करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
3. धन की कमी से पितरों का श्राद्ध करने में समर्थ न हो पाए तो वह किसी पवित्र नदी के जल में काले तिल डालकर तर्पण करे। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।
4. विद्वान ब्राह्मण को काले तिल दान करने से भी पितृ प्रसन्न हो जाते हैं। सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना करें आप मेरे पितरों तक मेरा भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उन्हें तृप्त करें।
5. कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
6. प्रत्येक अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
7. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
8. प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्यदेव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगाजल और शुद्ध जल मिलाकर बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्ध्य दें।
9. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भा गवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।
10. प्रत्येक अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए. पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्त का पाठ करना चाहिए. ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार मिठाई तथा दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए. इससे भी पितृ दोष में कमी आती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
11. पितरों की शांति के लिए जो नियमित श्राद्ध किया जाता है उसके अतिरिक्त श्राद्ध के दिनों में गाय को चारा खिलाना चाहिए. कौओं, कुत्तों तथा भूखों को खाना खिलाना चाहिए. इससे शुभ फल मिलते हैं।
12. श्राद्ध के दिनों में माँस आदि का मांसाहारी भोजन तथा शराब का त्याग करना चाहिए। सभी तामसिक वस्तुओं को सेवन छोड़ देना चाहिए और पराये अन्न से परहेज करना चाहिए।
13. सोमवार के दिन 21 पुष्प आक के लें, कच्ची लस्सी, बिल्व पत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। ऎसा करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
14. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
15. किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
श्राद्ध करते समय किसी तरह का दिखावा नहीं करना चाहिए तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार ही श्राद्ध में दान आदि करना उचित रहता है। धन के अभाव में घर में निर्मित खाद्य पदार्थ को अग्नि को समर्पित करके जल से तर्पण करते हुए गौ माता को खिला कर भी श्राद्ध कर्म पूर्ण किया जा सकता है।
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