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रखा है एकादशी का व्रत तो पूजा के बाद सुनें ये व्रत कथा, आजमाएं ये खास उपाय और भूल से भी न करें ये काम

सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। 

 

पुत्रदा एकादशी करने वाले की संतान दीर्घायु होती है। जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व और कथा को पढ़ता या श्रवण करता है उसे कई गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का नाश हो जाता है।

सावन के महीने में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी को श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है साथ ही सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है। 

पुत्रदा एकादशी करने वाले की संतान दीर्घायु होती है। जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व और कथा को पढ़ता या श्रवण करता है उसे कई गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का नाश हो जाता है।

एकादशी का व्रत रखने वाले को न सिर्फ व्रत-पूजा करना चाहिए बल्कि पूजा के बाद व्रत कथा भी सुननी चाहिए जिससे कि व्रत का पूरा फल मिल सके। 

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

कथा के अनुसार द्वापर युग के प्रारंभ का समय था, महिष्मतीपुर में राजा महिजित अपने राज्य का पालन करते थे।निःसंतान होने के कारण राजा बहुत दुःखी रहते थे। प्रजा से राजा का दुःख देखा नहीं गया और वह लोमश ऋषि के पास गये एवं ऋषि से राजा के निःसंतान होने का कारण और उपाय पूछा। लोमश ऋषि ने बताया कि राजा पूर्व जन्म में एक निर्धन वैश्य था।एक दिन जेठ के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को,जब दोपहर का सूर्य तप रहा था,वह एक जलाशय पर पानी पीने पहुंचा। तभी एक गाय अपने बछड़े सहित वहां पानी पीने आ गई। 
वैश्य ने पानी पीती हुई गाय को हांककर दूर हटा  दिया और स्वयं पानी पीकर प्यास बुझाई।उसी पापकर्म के कारण राजा को निःसंतान रहना पड़ रहा। लोमश ऋषि ने उन लोगों से कहा कि अगर आप लोग चाहते हैं कि राजा को संतान की प्राप्ति हो तो श्रावण शुक्ल एकादशी का व्रत रखें और द्वादशी के दिन अपने व्रत का पुण्य राजा को दान कर दें। 
राजा के शुभचिंतकों ने ऋषि के बताए विधि के अनुसार व्रत किया और व्रत के पुण्य को दान कर दिया। इससे राजा को सुंदर एवं स्वस्थ्य पुत्र की प्राप्ति हुई।मान्यता है कि जो भी व्यक्ति निःसन्तान है, वो व्यक्ति यदि इस व्रत को शुद्ध मन से पूरा करे तो अवश्य ही उसकी इच्छा पूरी होती है और उसे संतान की प्राप्ति होती है।

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पुत्रदा एकादशी के दिन करें ये उपाय 

-पुत्रदा एकादशी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा अवश्य करनी चाहिए और उन्हें तुलसी से निमित्त पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। ऐसा करने से आपकी संतान से संबंधित सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

– इस दिन आपको शाम के समय घी का दीपक तुलसी की जड़ में जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में सुख और शांति बनी रहती है और साथ ही आपकी अपनी संतान के साथ संबंध अच्छे हो जाते हैं।

– यदि आपकी संतान को नौकरी नहीं मिल रही है तो आप भगवान विष्णु को खीर अर्पित करें। उसमें भोग लगाते समय तुलसी अवश्य डालें। 

– यदि किसी समस्या का हल न हो रहा तो पुत्रदा एकादशी की शाम को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

– यदि संतान पर बीमारी का संकट हो तो पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु मंदिर में गेहूं या चावल चढ़ाएं और फिर इसे गरीबों में बांट दें और बाद में इसे गरीबों को दान कर दें।

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पुत्रदा एकादशी पर क्या करें और क्या न करें

-एकादशी तिथि भगवान विष्णु को प्रिय होती है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है। अगर संभव हो तो इस पावन दिन व्रत रखें। 

-एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करनी चाहिए। मान्यता है कि माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

-इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी के दिन मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन पहले भगवान को भोग लगाएं, उसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।

- एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन चावल का सेवन करना अशुभ माना जाता है।

-एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

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