रवि प्रदोष व्रत : इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा
रवि प्रदोष व्रत की करिए तैयारी
आज है भगवान शिव की पूजा के लिए खास दिन
इन सामानों से करिए पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के त्रयोदशी तिथि को भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। वहीं किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 बाद तक की जाती है।
ऐसा कहते हैं कि इस दौरान भगवान शिव चित्त मुद्रा में नृत्य करते हैं। इस समय की गई पूजा का फल शीघ्र मिलता है। वहीं चैत्र माह में 21 अप्रैल को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह व्रत रविवार के दिन है, इसलिए इस रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। अब ऐसे में अगर आप इस दिन भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं, तो इस विधि से करें पुजा।
रवि प्रदोष व्रत की पूजन सामग्री
भगवान भोलेनाथ की फोटो, जनेऊ, वस्त्र, रक्षासूत्र, बेलपत्र, भांग, शमी के पत्ते, मदार के फूल,गंगाजल, गाय का दूध, दही, शक्कर, सफेद चंदन, अक्षत्, इत्र, लौंग, इलायची, केसर, पान, सुपारी, शहद, हवन सामग्री, एक दीपक आदि।
किस विधि से करें भगवान शिव की पूजा
रवि प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करें और भगवान शिव की पूजा के लिए चौकी तैयार करें और उसके ऊपर शिव जी की तस्वीर रखें और फिर उनकी विधिवत रूप से पूजा-पाठ करें। साथ ही मंत्रों का उच्चारण विशेष रूप से करें। इससे भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। रवि प्रदोष वाले दिन दूध में केसर और फूल डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में मिठास बनी रहती है।
इस दिन जौ का आटा भगवान भोलनाथ के चरणों में स्पर्श कराकर, उसकी रोटियां बनाएं। इसे गाय या बछड़े को खिलाएं। ऐसा करने से यश, धन और कीर्ति में वृद्धि होती है।
रवि प्रदोष व्रत का महत्व
ऐसी मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत रखने वाले जातकों को सुख, शांति और लंबी आयु का वरदान मिलता है। साथ ही इस व्रत का संबंध सूर्यदेव से भी है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है, तो रवि प्रदोष व्रत करना शुभ फलदायी साबित हो सकता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मान-सम्मान, यश, धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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