सावन के आखिरी सोमवार पर बन रहा शुभ संयोग, यूं करेंगे पूजा तो बरसेगी भोलेनाथ की कृपा
सावन के हर सोमवार को शिव पूजा की जाती है, मंत्र किये जाते हैं। वहीं अब तो 16 अगस्त सोमवार को सावन का आखिरी सोमवार है।
जो भक्तजन किसी कारणवश तीन सोमवार का व्रत न कर पाए वे भी इस अंतिम सोमवार को व्रत-पूजा करके महादेव की कृपा के पात्र बन सकते हैं। वैसे भी भोले बाबा अपने भक्त पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उसके सारे कष्ट हर लेते हैं वहीं जो भक्त सावन में उनकी पूजा-अर्चना करता है उस पर तो वे पूरी तरह मेहरबान हो जाते हैं।
सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है वहीं सोमवार को तो भक्तजन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं और खास उपाय भी करते हैं जिससे कि पूजा का पूरा फल मिल सके। सावन के हर सोमवार को शिव पूजा की जाती है, मंत्र किये जाते हैं। वहीं अब तो 16 अगस्त सोमवार को सावन का आखिरी सोमवार है।
जो भक्तजन किसी कारणवश तीन सोमवार का व्रत न कर पाए वे भी इस अंतिम सोमवार को व्रत-पूजा करके महादेव की कृपा के पात्र बन सकते हैं। वैसे भी भोले बाबा अपने भक्त पर शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उसके सारे कष्ट हर लेते हैं वहीं जो भक्त सावन में उनकी पूजा-अर्चना करता है उस पर तो वे पूरी तरह मेहरबान हो जाते हैं।
सावन के आखिरी सोमवार पर बन रहा शुभ योग
सावन के महीने का आखिरी सोमवार 16 अगस्त को है । इस सोमवार पर बेहद शुभ योग बन रहा है जो व्रत-पूजा का महत्व बढ़ा देगा। इस दिन सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है जो व्रत का पूर्ण फल दिलाने वाली है वहीं इस दिन अनुराधा नक्षत्र भी रहेगा जो शुभ फल दिलाने वाला है साथ ही चंद्रमा वृश्चिक राशि में विराजमान रहेगा। इतना ही नहीं सूर्य की सिंह संक्रांति का विशेष संयोग है जो सिद्धियां प्राप्त करने की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
सावन सोमवार का महत्व
माना जाता है कि समुद्र मंथन सावन के महीने में ही हुआ था और समुद्र से निकले हलाहल विष का पान भगवान शंकर ने लोक कल्याण के लिए किया। महादेव ने उस विष को अपने कंठ में ही रोक लिया और वे नीलकंठ कहलाए। कंठ में विष रोकने से भोलेनाथ अति व्याकुल हो गए और फिर उनकी व्याकुलता रोकने के लिए देवताओं ने जल से उनका अभिषेक किया। तब भी उनकी व्याकुलता पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई। ऐसे में चंद्र ने स्वयं को उनके मस्तक पर धारण करने का अनुरोध किया।
चंद्र का एक नाम सोम है और वे सोमवार के स्वामी है। जब महादेव ने चंद्रमा को अपने शीश पर धारण किया तो उन्हें चंद्रमा की शीतलता के प्रभाव से आनंद प्राप्त हुआ। इससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने चंद्रमा को वरदान दिया जो भी मनुष्य सोमवार विशेषकर श्रावण मास के सोमवार को नित्य जल मुझे अर्पण करेगा उसे मेरी कृपा अनुकम्पा के साथ चंद्रदेव की भी अनुकम्पा प्राप्त होगी। यही कारण है कि भगवान शिव को सोमवार प्रिय है।
सावन के आखिरी सोमवार का मुहूर्त और राहुकाल
सावन का आखिरी सोमवार 16 अगस्त को पड़ रहा है। इस दिन सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पड़ रही है। इस दिन चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा तथा अनुराधा नक्षत्र लग रहा है। सावन के आखिरी सोमवार पर व्रत और पूजन करने से भगवान शिव अवश्य प्रसन्न होते हैं। इस दिन राहुकाल सुबह 07 बजकर 29 मिनट से लेकर 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस काल में पूजन या कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है।
शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:24 से 05:07 तक
अभिजित मुहूर्त- 11:59 से 12:51 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:37 से 03:29 तक
गोधूलि मुहूर्त-शाम 06:46 से 07:10 तक
अमृत काल- 05:15 से 06:45 तक
भोलेनाथ की पूजा में करें इन चीजों का प्रयोग
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
यूं करें महादेव की पूजा
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
-इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना विशेष रूप से फलदायी होता है। भगवान शिव का पूजन कर फलाहार व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- रात्रि में भगवान शिव की आरती तथा उनके दिव्य स्तोत्रों का पाठ कर स्तुति करनी चाहिए।
श्रावण मास के चौथे सोमवार को 12 बेल पत्र पर सफेद चन्दन से प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का नाम लिख कर प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का उच्चारण के साथ किसी भी शिवलिंग पर जल के साथ अर्पित करने पर वही फल प्राप्त होगा जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर जल अर्पण करने से प्राप्त होता है।
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