अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिये यूं रखें हरतालिका तीज का व्रत, शुभ मुहू्र्त में ऐसे पूरे विधि-विधान से करें पूजा
अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं ये व्रत रखती है वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं। इस साल ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा।
भादो माह के शुक्लपक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का पावन व्रत रखा जाता है। अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं ये व्रत रखती है वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं। इस साल ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। ये व्रत बेहद कठिन होता है क्योंकि इस दिन निराहार ही नहीं बल्कि निर्जला व्रत रखा जाता है वह भी पूरे दिन और अगले दिन ही इस व्रत का पारण किया जाता है।
भादो माह के शुक्लपक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का पावन व्रत रखा जाता है। अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं ये व्रत रखती है वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं। इस साल ये व्रत 9 सितंबर गुरुवार को रखा जाएगा। ये व्रत बेहद कठिन होता है क्योंकि इस दिन निराहार ही नहीं बल्कि निर्जला व्रत रखा जाता है वह भी पूरे दिन और अगले दिन ही इस व्रत का पारण किया जाता है।
वहीं देखा यह जाता है कि जो महिला या लड़कियां पहली बार ये व्रत रखती हैं उनमें उत्साह व उमंग कुछ ज्यादा ही होता है। इस दिन व्रती महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करती हैं वहीं कुछ जगहों पर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की कच्ची मिट्टी से प्रतिमा बनाकर महिलाएं विधिवत पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, मेहंदी लगाती है वहीं नए कपड़े भी पहनती है।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है। संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।
हरतालिका तीज पूजन शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज की पूजा के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला शुभ मुहूर्त सुबह के समय और दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद बन रहा है।
सुबह का मुहूर्त-
सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक
पूजा के लिए आपको कुल समय 02 घंटे30 मिनट का समय मिलेगा
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त-
शाम को 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
हरतालिका तीज की पूजा सामग्री
गीली काली मिट्टी या बालू, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, आंक का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर,चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा, विशेष प्रकार की 16 पत्तियां और 2 सुहाग पिटारा
ऐसे करें हरतालिका तीज पर पूजा
- हरतालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
-इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत या काली मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजी जाती है।
- पूजा के स्थान पर एक चौकी रखी जाती और उन्हें फूलों से सजाया जाता है। चौकी पर केले के पत्ते रखें और उसके ऊपर प्रतिमा जी स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- भगवान शिव को धोती और अगोंछा चढ़ाएं। इसके बाद उन चीजों को ब्राह्मण को दान दे दें।
- इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।
-पूजा के बाद तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।
हरतालिका व्रत के नियम
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रती को गुस्सा नहीं करना चाहिए। खुद पर संयम रखना चाहिए। ऐसे में इन सब चीजों से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुद को भगवान में लीन करना है। हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करें। पूजा-पाठ करें और खुद को अन्य चीजों से बचाएं जैसे- झूठ बोलना, गुस्सा करना आदि। व्रत में ऐसा करना मना है। कहते हैं पूरा दिन और रात भगवान का जाप करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसमें रात को सोना भी मना होता है।
ऐसे करें व्रत का पारण
कहते हैं कि हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रुप में स्वीकार किया था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, इसके बाद ही भोलेशंकर उन्हें मिल पाए थे तभी से मनचाहे पति की इच्छा और लंबी आयु के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इसके बाद अगले दिन ही व्रत का पारण किया जाता है। कुछ जगहों पर जलेबी खाकर भी व्रत का पारण किया जाता है।
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