जन्माष्टमी पर बन रहा है ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग, व्रत-पूजा का मिलेगा शुभ फल, जानें क्या कुछ होगा खास
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा के वृष राशि में रहते हुआ था। इस तरह का संयोग इस बार भी जन्माष्टमी के दिन बन रहा है जो इसे बेहद शुभ फलदायी बना रहा है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा के वृष राशि में रहते हुआ था। इस तरह का संयोग इस बार भी जन्माष्टमी के दिन बन रहा है जो इसे बेहद शुभ फलदायी बना रहा है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा के वृष राशि में रहते हुआ था। इस तरह का संयोग इस बार भी जन्माष्टमी के दिन बन रहा है जो इसे बेहद शुभ फलदायी बना रहा है।
जन्माष्टमी पर भक्तजन व्रत करते हैं, कृष्ण मंदिर में भगवान के दर्शन करके कृतार्थ होते हैं साथ ही भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव घर में भी धूमधाम से मनाते हैं। घर में झूले सजाते हैं, रात में 12 बजे आरती करते हैं, माखन मिश्री का भोग लगाते हैं। वहीं इस बार शुभ योग बनने से व्रत-पूजा का फल भी तुरंत मिलेगा और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
जन्माष्टमी पर बन रहे कई शुभ संयोग
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि: इसका प्रारंभ 29 अगस्त दिन रविवार को 11 बजकर 25 मिनट से हो रहा है, जो जन्माष्टमी के दिन 30 अगस्त को देर रात 01 बजकर 59 मिनट तक है।
रोहिणी नक्षत्र: जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ सुबह 06 बजकर 39 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन सुबह 09 बजकर 43 मिनट तक है।
हर्षण योग: जन्माष्टमी को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट से।
सर्वार्थ सिद्धि योग: जन्माष्टमी के दिन यानी 30 अगस्त को प्रात: 06 बजकर 39 मिनट से 31 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 59 मिनट तक।
जन्माष्टमी के दिन रात को 23:37 पर चन्द्र उदय होगा। शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख है...
अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्।
तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्।
अर्थात सोमवार में अष्टमी तिथि, जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है।
निर्णय सिंधु में भी एक श्लोक आता है...
त्रेतायां द्वापरे चैव राजन् कृतयुगे तथा।
रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि: समुपपोषिता।।
अर्थात हे राजन्, त्रेता युग, द्वापर युग, सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया था इसीलिए कलयुग में भी इसी प्रकार उत्तम योग माना जाए। ऐसा योग विद्वानों और श्रद्धालुओं को अच्छी प्रकार से पोषित करने वाला योग होता है।
इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव जयंती योग में ही मनाया जाएगा। ग्रह नक्षत्रों के आधार पर उस दिन प्रातःकाल सूर्य उदय से लेकर रात्रि 1:59 बजे तक अष्टमी तिथि है। इस दिन प्रातः 6:38 बजे तक कृतिका नक्षत्र है जो स्थिर योग में इस व्रत की शुरुआत करेगा। उसके पश्चात 6:39 बजे से रोहिणी नक्षत्र आएंगे जो अगले दिन प्रातः 9:43 बजे तक रहेंगे। यह दिन और नक्षत्र का योग प्रवर्धन योग कहलाता है। इसको शास्त्रों मे सर्वार्थ सिद्धि योग भी कहा गया है।
इस बार जयंती योग में मनेगी जन्माष्टमी
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र एवं हर्षण योग में हुआ था। सौभाग्य से इस वर्ष इसी तिथि, नक्षत्र और योग की स्थिति इस बार बन रही है। इस वर्ष अष्टमी तिथि को चंद्रमा का उदय रात्रि 23:37 पर होगा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि 12:00 बजे, रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि और हर्षण योग अर्थात पूर्ण रूप से जयंती योग बना रहा है।
जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा का मुहूर्त: 30 अगस्त सोमवार को रात 11:59 बजे से देर रात 12: 44 मिनट तक। इस समय काल में आप श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाएगा। यदि घर पर जन्मोत्सव का आयोजन कर रहे हैं तो इस समय बाल श्रीकृष्ण की पूजा करें। उन्हें झूला झुलाएं और भोग लगाकर उनकी आरती करें।
ऐसे करें लड्डू गोपाल की पूजा
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप यानी बाल कृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन बालगोपाल की दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही केसर मिले हुए दूध और गंगाजल से स्नान कराएं। बाल गोपाल का अभिषेक करने के दौरान लगातार कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। अभिषेक के बाद बाल गोपाल को सुंदर और नयी पोशाक पहनाएं अगर ये पीले रंग की हो तो और भी अच्छा होगा क्योंकि कृष्ण को पीतांबर प्रिय है। फिर उन्हें उनकी सभी प्रिय वस्तुएं जैसे वैजयंती माला, बांसुरी, मोरपंख, चंदन का टीका और तुलसी की माला से श्रृंगार करें। बाल गोपाल के साथ गौ माता की मूर्ति को भी पूजा करनी चाहिए।
बाल गोपाल के श्रृंगार के बाद उन्हें माखन-मिश्री, मिठाई का भोग और तुलसीदल अर्पित करें। भोग लगाने के बाद धूप दीप जलाकर बालगोपाल की आरती करें। पूजा के बाद जाने-अनजाने होने वाली भूल के लिए बालगोपाल से क्षमा मांगे। अंत में परिवार के सभी सदस्यों को आरती दें और सभी को प्रसाद वितरीत करते हुए जन्माष्टमी की शुभकामना दें। घर पर पूजा के बाद अपने घर के आसपास स्थिति मंदिर में जाकर श्रीकृष्ण के दर्शन करें।
जन्माष्टमी पर गोसेवा का मिलता है शुभ फल
हम सब जानते ही हैं कि भगवान श्री कृष्ण को गाय बेहद प्रिय है औ वे गोपाल भी कहलाते हैं तो अगर उनके जन्मोत्सव पर गौ सेवा की जाए तो इसका भी शुभ फल मिलता है। जन्माष्टमी पर किसी गौशाला में जाकर हरी घास और धन का दान करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो जरूरतमंद लोगों को दूध भी का दान करें। गो सेवा से भगवान प्रसन्न होते हैं।
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