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वसंत पंचमी का पावन पर्व आज, 108 बार करें इस मंत्र का जाप

 

माघे मासि सिते पक्षे पंचमी या श्रीयः प्रिया। तस्या: पूर्वाह्न एवेह कार्या: सारस्वतोस्छ्व:।।" 'पण्डित सर्वस्व' ग्रन्थ से गृहीत इस श्लोक की मर्मार्थ है-- "माघ शुक्ल पंचमी तिथि के पूर्वान्ह में सरस्वती पूजोच्छव करणीय।।"
          
ज्योतिष के अनुसार उन्नति और पैदावार यानी ऐसे नया बदलाव का प्रतीक शुक्र ग्रह है। और कल्पना किया जाता है कि इस समय ज्ञान- विज्ञान के देवता बृहस्पति के घर में सायद संजीवन- विद्या- ज्ञाता शुक्रदेव भी विचरण करते हैं !!

जब ब्रह्मा जी के द्वारा ब्रह्मांड- सर्जना हुआ था-- उस अवसर में चांद्र- माघ- शुक्ल- पंचमी को वीणा- पुस्तक- शोभित- हस्ता, स्वेत- वसन- परिहिता, ज्ञान और आवाज की प्रतिकात्मिका महादेवी सरस्वती माता की शुभावतरण के कारण, इस दिवस को "बसंत पंचमी" त्योहार के रूप में मान्यता प्राप्त है।।

 फिर पुराण के अनुसार भगवान शिव जी जब समाधि में काफी लंबे समय से मग्न थे, तो पार्वती माता ने उनको बाहर निकलने के लिए शुक्रदेव के प्रतीकमन्य कामदेव से कहा था। (कुछ विद्वान लोग मानते है कि, ध्यान और समाधि जैसे स्थितावस्था, शनिदेव का नैसर्गिक गुण के प्रतीक है !) माता की आज्ञा पालन कर कामदेव ने शिव जी को उस समाधि से बाहर निकल कर ज्ञान और वैभव की तरफ मोड़ने के लिए ही फूलों रूपी तीर से उनके ऊपर वार किया था। और सायद इसी कारण वशः स्मारक रूप में भी वही रंगीन दिन को फूलों से भरपूर नवकलिकाएं से सज्जित रुत्तुराज की प्रतीक "बसंत- पंचमी" उत्सव के नाम में मनाया जाता है।। 

वसंत पंचमी

ज्ञानगुरु बृहष्पति का प्रतीक तथा प्रिय रंग है-- 'पीला'। सायद इसी वजह से "सरस्वती- जयंती" मनाने के दौरान भी धवलवस्त्र- परिहिता- पद्मासना- महास्वेता- सरस्वती माता को कंहा- कंहा खुसी में पीले वस्त्रों से सजाकर, उनके ऊपर पीले फूलों भी चढ़ाने की परंपरा है। इसके अलावा इस समय पंजाब तथा भारत के किसी- किसी हिस्सों में पकने लगी गेहूं तथा सरसों की फसल पीली रंगों में हंसते- खिलते है। इस पीली रंग की शुभ संकेत को नजर में रखते हुए श्रीपंचमी में वाग्देवी के ऊपर पीली फूलों चढ़ाना भी एक कारण हो सकता है।।

बसंत पंचमी के दिन  सरस्वती माता की पूजा उनकी विशेष मंत्र "ॐ ऐंग सरस्वती नमः"-- का 108 बार अवश्य जाप करना चाहिए। माँ वाग्देवी सरस्वती बुद्धि, विद्या और आवाज की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर माँ की कृपा हो, उसकी बुद्धि बहुत ही तेज/ प्रखर होती है। इसलिए खासतौर पर बसंत पंचमी में यदि कोई छात्र माँ सरस्वती की आराधना करे, उनके मंत्र का जाप करें या कोई अन्य उपाय करें, तो माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।।

     विद्यार्थियों के लिए कुछ टोटके :
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  • अपनी किताबों/ लिखन सामग्री के साथ बसंत पंचमी के दिन मोर पंख रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे पढ़ने में मन लगता है।।
  • बच्चों की बुद्धि तेज करने के लिए इस बसंत पंचमी के दिन से ही औषधि रूपिणी ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसी मेधावटी को सेवन के लिए देना आरंभ करना चाहिए।।
  • जिन बच्चों में हकलाने या बोलने में दिक्कत हो-- बांसुरी के छेद से शहद भरकर, उसे मोम से बंद कराकर, श्रद्धा और विश्वास के साथ उस बच्चों के हाथ से ही वाग्देवी को समर्पण कर, जमीन में गाड़ देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों का बोलने की दिक्कत क्रमशः दूर होने की विश्वास प्रचलित है।।
  • बसंत पंचमी के दिन प्रातः उठकर, बच्चों को अपनी- अपनी हथेलियां देखनी चाहिए। क्योंकि कहते हैं- "कराग्रे लक्ष्मी बसते, कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तू गोविदः प्रभाते कर दर्शनम्।" यानी हथेली में माँ सरस्वती का वास होती है, जिनकों देखना माँ सरस्वती के दर्शन करने के बराबर होती है।।
  • बच्चों के अलावा भी जिन लोगों को बोलने में दिक्कत हो, उन्हें बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की सश्रद्ध पूजा करने के बाद, विद्वान पुरोधा जी की सहायता लेकर-- जीभ को तालु में लगाकर बीज मंत्र 'ऐं' का यथाविधि जाप करना चाहिए।।

माता के लिए पुष्पांजलि मंत्र :
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     "या कुन्देन्दुतुषारहारधवला
                     या शुभ्रवस्त्रावृता।
     या वीणावरदण्डमण्डितकरा
                      या श्वेतपद्मासना। 
     या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः 
                              सदा वन्दिता।
     सा मां पातु सरस्वती भगवती 
                   निःशेषजाड्यापहा॥१।।

      शुक्लां ब्रह्मविचार सार 
             परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
       वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां   
                    जाड्यान्धकारापहाम्‌। 
       हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं 
                       पद्मासने संस्थिताम्‌।
       वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं
                    बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२।।

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