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अबकी बार वट सावित्री पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त व खास बातें

व्रत व पूजा पाठ ऐसे होते हैं, जिनको करने से तत्काल फल मिलता है। उनमें से वट सावित्री व्रत एक ऐसा ही व्रत है। इसको विधि-विधान से पूजा करते हुए पूरा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है
 
सावित्री व्रत एक ऐसा ही व्रत है। इसको विधि-विधान से पूजा करते हुए पूरा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है।

कहते हैं कि कुछ व्रत व पूजा पाठ ऐसे होते हैं, जिनको करने से तत्काल फल मिलता है। उनमें से वट सावित्री व्रत एक ऐसा ही व्रत है। इसको विधि-विधान से पूजा करते हुए पूरा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है। अखंड सौभाग्य के लिए विवाहिता महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान से किया करती हैं।

savitri vrat

 वट सावित्री व्रत प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल 30 मई को वट सावित्री का व्रत है। वट सावित्री पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है, इसलिए यह व्रतियों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यह अमावस्या स्नान-दान और श्राद्ध का भी अमावस्या है, इसलिए यह तिथि न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी विशेष है। व्रत में पूजा-पाठ, स्नान व दान आदि का अक्षय फल मिलता है।

वट सावित्री व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है। अखंड सौभाग्य के लिए विवाहिता इस व्रत को विधि-विधान से करती हैं। वट वृक्ष का सनातन धर्म में काफी मान्यता है।

इसलिए है खास है पर्व 

वट वृक्ष धरती पर जीवन का प्रतीक है। इधर, वट सावित्री व्रत में महज चार दिन ही शेष बचे हैं। इसके लिए धनबाद का बाजार तैयार है। पूजन सामग्री में सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, लाल कलावा, सुहाग का सामान, कच्चा सूत, बरगद का फल, जल भरने के लिए कलश और थाल में सजाने को अन्य सामग्री की खरीदारी शुरू हो गई है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है।

इस बर्ष 30 मई 2022 सोमवार को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है । इसी दिन शनिदेव जी का भी जन्म हुआ था। इस बर्ष इस दिन वट सावित्री पूजा भी है। इसके अलावा सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है, ऐसा संयोग करीब 30 साल बाद बन रहा है 30 बर्ष के बाद शनि देव कुम्भ राशि मे गोचर कर रहे हैं।

वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त 


अमावस्या तिथि प्रारम्भ : 29 मई 2022 को दिन के 02.54 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त : 30 मई 2022 को संध्या 04.59

सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय-

1:-पितृ तर्पण व पिंडदान- सोमवती अमावस्या के दिन ही पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है महाभारत काल से ही सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान का विशेष महत्व है।

2. दान- सोमवती अमावस्या के दिन शनि और चंद्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

3. तीर्थो में स्नान- इस दिन गंगा, नर्मदा, शिप्रा, सरयू या किसी पवित्र तीर्थ  में स्नान करना चाहिए। इस दिन हनुमान जी, शनिदेव, भगवान विष्णु और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। अगर तीर्थ में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर में थोड़ा गंगाजल या तीर्थो का जल मिलाकर स्नान करें।

4. वट वृक्ष की पूजा- सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाकर परिक्रमा की जाती है।

5. इन बस्तुओं का करें दान- सोमवती अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को पानी का घड़ा, ककड़ी, खीरा, छाता, ब्राह्मणों के लिए दान करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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