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पौष माह में की जाती है सूर्य की उपासन, जानिए इस महीने का महत्व और उपाय

27 दिसंबर से पौष माह आरंभ हो चुका है। सनातन धर्म में पौष माह का काफी महत्व बताया गया है। पौष माह को विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित बताया गया है।

 

27 दिसंबर से हो चुका है पौष माह आरंभ

सनातन धर्म में पौष माह का काफी महत्व

पौष माह भगवान सूर्य को समर्पित 

27 दिसंबर से पौष माह आरंभ हो चुका है। सनातन धर्म में पौष माह का काफी महत्व बताया गया है। पौष माह को विशेष रूप से भगवान सूर्य को समर्पित बताया गया है।


 मान्यता है कि पौष महीने में भगवान सूर्य की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिन्दी कैलंडर के अनुसार पौष मास 10वां  महीना माना जाता है, जिसकी शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। पौष माह को पूस का महीना भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इस माह में किसी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।


पौष माह का महत्व


पौष माह में कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं, लेकिन ईश्वर की उपासना विशेष तौर पर सूर्य और पितरों की उपासना के लिए सबसे उत्तम महीना माना जाता है। पौष माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के किया गया पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाता है। इस पूरे महीने इनकी पूजा करने से घर में खुशहाली और जीवन में मान-सम्मान, धन की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि पौष महीने में सूर्य पूजा से सेहत अच्छी रहती है,व्यक्ति दीर्घायु होता है।

पौष माह में क्या करें

  • आदित्य पुराण के अनुसार इस माह में नित्यप्रति तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। मान्यता है कि इससे प्राणी के सभी रोग दूर होते हैं,मान-सम्मान बढ़ता है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष के महीने में आदित्य हृदय स्तोत्र के नित्य पाठ से जीवन में अनेक कष्टों का निवारण होता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक रोग, हृदय रोग, शत्रु भय निवारण होता है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से जीवन की तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है और हर क्षेत्र में जीत हासिल की जा सकती है।
  • पौष माह के हर रविवार को व्रत रखकर तिल, चावल की खिचड़ी और गुड़ सूर्यनारायण को अर्पित करने से व्यक्ति यशस्वी बनता है।
  • पौष माह में अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा, एकादशी पर विशेषकर पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है व जीवन के दुःख-दर्द दूर होते है।
  • पौष माह को दान-पुण्य करने का महीना माना गया है। मान्यता है कि इस माह गरम कपड़ों, कंबल, गुड़, दाल, तांबे के बर्तन का दान करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सदैव सुख और शांति बनी रहती है।
  • पौष माह के दौरान भगवान विष्णु की पूजा बेहद फलदायी मानी गई है। ऐसे में इस पूरे महीने श्री हरि विष्णु के नामों का जाप अवश्य करना चाहिए। साथ ही मंदिर जाकर कुछ दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से विष्णु भगवान के साथ-साथ माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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