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आखिर कौन है अवैध स्टैंड का असली सरगना, कौन-कौन करता है संरक्षण

चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर महाकुंभ की भीड़भाड़ को देखते हुए अवैध वाहन स्टैंड का संचालन चालू हो गया है। ट्रेन पकड़ने के लिए बाहर से आये यात्रियों को अंजाने में अवैध स्टैंड का सहारा लेना होता है।
 

पार्किंग में वाहन खड़ा करने को लेकर यात्रियों से आये दिन होती है मारपीट

बवाल हुआ तो फेल हो जाएगा हाई सिक्योरिटी प्लान

सुरक्षा एजेंसियों की आड़ में चल रहा है अवैध वाहन स्टैंड
 

चंदौली जिले के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर महाकुंभ की भीड़भाड़ को देखते हुए अवैध वाहन स्टैंड का संचालन चालू हो गया है। ट्रेन पकड़ने के लिए बाहर से आये यात्रियों को अंजाने में अवैध स्टैंड का सहारा लेना होता है। यह कारनामा सुरक्षा एजेंसियों की आड़ में चलाया जा रहा है। आए दिन हो रही घटनाओं से भी सुरक्षा एजेंसीइया सिख नहीं ले रही हैं। इसकी शिकायत भी होती है। इसके बावजूद कोई कर्रवाई नहीं होती। 
खास बात यह है कि यह अवैध स्टैंड रेलवे के राजस्व को चूना भी लगा रहा है। जिस परिक्षेत्र में वैध स्टैंड का आवंटन किया गया है। वहां, चार, तीन व दो पहिया वाहनों का जमाना काम होता है। जिसका सीधा असर रेलवे की आय पर होता है। 


उत्तर, बिहार, झारखंड व बंगाल के यात्री पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर आकर अपने गंतव्य को जाने के लिए ट्रेनों का सहारा लेते हैं। रोजाना लगभग 50 हजार लोगों का आवागमन जंक्शन पर होता है। इसमें लगभग 20 फीसद लोग वहां अपने निजी वाहनों से जंक्शन पर पहुंचते हैं। इसके बाद वो पैसेंजर को छोड़ वापस अपने घर को लौट जाते हैं। 

इसमें खास बात यह है कि सुरक्षा एजेंसियों को बकायदा जंक्शन के सर्कुलेटिंग एरिया में मैप बनाकर वाहन स्वामियों को निर्धारित स्टैंड में ले जाना चाहिए। हालांकि इसका खामी आज वैध स्टैंड संचालकों को भी भुगतना पड़ता है। उनके परिक्षेत्र में जो गाड़ियां खड़ी होनी चाहिए। वह गाड़ियां अवैध स्टैंड में खड़ी हो रही है। इसकी शिकायत भी वैध वाहन स्टैंड संचालक कर चुके हैं। जंक्शन एरिया में संचाल अवैध स्टैंड से बुक होने वाली सवारी गाड़ियों पर पुलिस भी पाबंदी लगा चुकी है। अभी कुछ दिन पहले ही एक ड्राइवर की लाश बिहार में मिली थी। इसके बाद यहां से कार बुक कराकर गए एक यात्री के साथ वाराणसी में भी वारदात का प्रयास किया गया। इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। 

स्थानीय पुलिस द्वारा इसकी शिकायत भी रेलवे की सुरक्षा एजेंसी से कर चुकी है। चुकी यह परिक्षेत्र रेल प्रशासन की देखरेख में आता है। इसलिए स्थानीय पुलिस का कोई हस्तक्षेप नहीं हो पता। समय रहते अगर इसमें सुधार नहीं हुआ। तो किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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