सूबेदार मेजर सुरेश यादव को नम आंखों से दी गयी विदाई, करंट से हो गयी थी मौत
बहादुरपुर गांव निवासी सूबेदार मेजर सुरेश यादव
एक माह पहले ही हुआ था प्रमोशन
गार्ड ऑफ ऑनर देकर हो गयी विदाई
अफसर व राजनेता रहे मौजूद
चंदौली जिले के मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत बहादुरपुर गांव निवासी सूबेदार मेजर सुरेश यादव की ड्यूटी के दौरान एक हादसे में करेंट लगने से मौत हो गई। घटना की जानकारी होते ही परिवार में कोहराम मच गया। उनका पार्थिव शरीर सोमवार को उनके बहादुरपुर स्थित आवास पर पहुंचते ही लोगों की आंखे नम हो गयी। सैंकड़ों लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।
इस दैरान आर्मी के 39 बटालियन के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उनके पार्थिव शरीर को गंगा घाट पहुंचाया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
बताते चलें कि पड़ाव क्षेत्र के बहादुरपुर निवासी सुरेश यादव 1996 में सेना में भर्ती हुए थे। लोगों ने बताया कि सूबेदार मेजर सुरेश यादव काफी खुश मिजाज और जिंदादिल इंसान थे। उनकी मौत के बाद से परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है।
घर में पिता जवाहर यादव, माता रमा देवी, पत्नी प्रियंका यादव और दो बच्चे अनमोल (12), अमीषा (16) का रो-रोकर बुरा हाल है। सुरेश यादव सेना के ईएमई बटालियन में गुवाहाटी में तैनात थे। कुछ दिन पूर्व ही सूबेदार के पद से पदोन्नति पाकर सूबेदार मेजर बने थे। पदोन्नति के बाद सात दिन की छुट्टी लेकर बहादुरपुर घर आए थे। घर से जाने के बाद रविवार को उनकी करेंट लगने से मौत हो गयी। जिसके बाद सेना के जवानों द्वारा उनके पार्थिव शरीर को सोमवार प्रातः लेकर पहुँचने की सूचना मिलते ही क्षेत्र में जगह जगह से लोगों की भीड़ जुट गई।
प्रशासन की तरफ से एसडीएम पीडीडीयू नगर विराग पांडेय, तहसीलदार सतीश कुमार, वर्तमान सपा सांसद वीरेंद्र सिंह, पूर्व सपा सांसद रामकिशुन, पूर्व पीडीडीयू सपा विधानसभा प्रत्याशी चंद्रशेखर यादव, वर्तमान पीडीडीयू विधायक प्रतिनिधि संजय कन्नौजिया सहित क्षेत्र के सैंकड़ों लोग उनके आवास पर पहुँच गये थे। उनके पार्थिव शरीर के पहुंचते ही सभी लोगों की आंखें तो नम हुई ही परिजनों के रुदन क्रंदन से पूरा माहौल गमगीन हो गया। हर तरफ मातम पसर गया।
थल सेना के 39 बटालियन के जवानों ने उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। तत्पश्चात् उनके पार्थिव शरीर पर लोगों ने पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद लोगों ने नम आंखों से मेजर सूबेदार सुरेश यादव अमर रहे के जयघोष के साथ उनके पार्थिव शरीर को गंगा घाट पहुंचाया, जहाँ उनका दाह संस्कार किया गया।
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