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नौगढ़ इलाके में बाबा साहब की 129वीं जयंती पर लोगों ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show संविधान के रचनाकार बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की129वीं जयंती के अवसर पर गांवों में लगी उनकी प्रतिमाओं पर लोग सोशल डिस्टेसिंग व लॉकडाउन को देखते हुए बारी बारी से पहुंच कर लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये तथा उनके द्वारा व्यक्त किये गये विचारों को अधिक से अधिक अपनाने की बात कही गई ।
 
नौगढ़ इलाके में बाबा साहब की 129वीं जयंती पर लोगों ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन

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संविधान के रचनाकार बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की129वीं जयंती के अवसर पर गांवों में लगी उनकी प्रतिमाओं पर लोग सोशल डिस्टेसिंग व लॉकडाउन को देखते हुए बारी बारी से पहुंच कर लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये तथा उनके द्वारा व्यक्त किये गये विचारों को अधिक से अधिक अपनाने की बात कही गई । बाबा भीमराव अंबेडकर की पावन जयंती पर लोगों को कोरोना जैसे संक्रमण की वजह से एहतियात बरतते देखा गया।

इस मौके पर कहा गया कि देश और दुनिया के वंचितों और दलितों की आवाज बने बाबा साहब जब तक धरती रहेगी तब तक उनका नाम रहेगा। इंद्रजित भारती ने कहा कि बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय आंबेडकर का जन्म एक गरीब अस्पृश्य परिवार मे हुआ था। एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा।
भारतीय संविधान के निर्माता और भारत रत्न प्राप्त डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के जन्मदिवस 14 अप्रैल का दिन देश भर में आंबेडकर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। एक विश्व स्तर के विधिवेत्ता आंबेडकर को एक दलित राजनीतिक नेता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के तौर पर पहचाना जाता है।

बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय आंबेडकर का जन्म एक गरीब अस्पृश्य परिवार में हुआ था। एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें सारा जीवन नारकीय कष्टों में बिताना पड़ा। बाबासाहेब आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली और भारतीय समाज में सर्वव्यापित जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया।

बाबासाहेब अम्बेडकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। लेकिन उनसे जुडी कुछ ऐसी बातें है जिससे डॉ. आंबेडकर को भारतीय बौद्ध भिक्षुओं ने बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की है।हालांकि उन्होने खुद को कभी भी बोधिसत्व नहीं कहा। अम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय तक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे। उनके पिता भारतीय सेना की मऊ छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुंचे थे। स्कूली पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद आंबेडकर और अन्य अस्पृश्य बच्चों को विद्यालय मे अलग बिठाया जाता था। उनको कक्षा के अन्दर बैठने की अनुमति नहीं थी, साथ ही प्यास लगने प‍र कोई ऊंची जाति का व्यक्ति ऊंचाई से पानी उनके हाथों पर पानी डालता था, क्योंकि उनको न तो पानी न ही पानी के पात्र को स्पर्श करने की अनुमति थी।

अपने भाइयों और बहनों मे केवल अम्बेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए और इसके बाद बड़े स्कूल मे जाने में सफल हुए । अपने एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव अम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे। उनके कहने पर अम्बेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अम्बेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम “अंबावडे” पर आधारित था। आंबेडकर ने कानून की उपाधि प्राप्त करने के साथ ही विधि, अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान में अपने अध्ययन और अनुसंधान के कारण कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से कई डॉक्टरेट डिग्रियां भी अर्जित की।

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