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नौगढ़ में वन विभाग चलाएगा गुलेल, वीरान स्थानों पर नए मेथड से करेगा वृक्षारोपण

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़  में पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुलेल विधि से वृक्षारोपण कार्य कराया जा रहा है।
 

पांच हजार बीजों के जरिए तैयार होंगे पौधे

दुर्गम इलाकों में हरियाली की नई पहल

हरियाली बढ़ाने के लिए वन विभाग का नया प्रयोग शुरू

चंदौली जिले के तहसील नौगढ़  में पर्यावरण संरक्षण और हरियाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुलेल विधि से वृक्षारोपण कार्य कराया जा रहा है। नौगढ़ के चिरवांटाड, औरवाटांड, नोनवट, पंडी, केल्हडिया, भैंसोड़ा, चकरघटृटा, लक्षिमनपुर, देवदत्तपुर, अमरा भगवती समेत अन्य स्थानों पर पांच हजार बीजों से पौधों का रोपण किया गया। जिससे क्षेत्र में हरियाली का नया दौर शुरू हुआ। 

इस सम्बन्ध में महर्षि वाल्मीकि संस्थान के व्यवस्था प्रमुख सुरेश सिंह ने चंदौली समाचार को  बताया कि गुलेल विधि, जिसे Seed Ball या Seed Bombing के नाम से भी जाना जाता है, एक सरल और प्रभावी तकनीक है। इस विधि में बीजों को मिट्टी और खाद के मिश्रण में लपेटकर छोटे गोले बनाए जाते हैं और फिर इन्हें उपयुक्त स्थानों पर फेंका जाता है। यह विधि उन क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी है जहां पारंपरिक तरीके से वृक्षारोपण करना कठिन होता है। 

इस दौरान, संस्थान के प्रमुख ने स्थानीय लोगों को गुलेल विधि के महत्व और इसके फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस विधि से न केवल वृक्षारोपण करना आसान होता है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। मिट्टी और खाद से बने ये बीज गेंदें प्राकृतिक तरीके से बीजों को पोषक तत्व प्रदान करती हैं, जिससे पौधे आसानी से अंकुरित होते हैं।

इस दौरान समाजसेवी दीपक गुप्ता, देवेंद्र साहनी, विजेंद्र कुमार, दिवाकर मिश्रा, राजाराम, अभिषेक पांडे गोपाल महेश व संस्थान के बच्चे शामिल थे।


पांच हजार बीजों से हरियाली का संकल्प


  वृक्षारोपण अभियान के तहत कुल पांच हजार बीज गेंदों का उपयोग किया गया। स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विभिन्न स्थानों पर इन बीज गेंदों को फेंककर अपनी भागीदारी निभाई। इस पहल से क्षेत्र में हरियाली बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलन में सुधार होगा। 

महर्षि वाल्मीकि संस्थान के प्रमुख ने कहा, "हम सभी को मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए। गुलेल विधि एक सरल और प्रभावी तरीका है, जिससे हम बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कर सकते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा और स्वस्थ वातावरण छोड़ें।" इस पहल से नौगढ़ इलाके में हरियाली बढ़ने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और सामुदायिक स्वास्थ्य को लाभ होगा। गुलेल विधि से वृक्षारोपण की यह पहल एक उदाहरण है कि कैसे छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। संस्थान की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे प्रेरित होकर अन्य स्थानों पर भी ऐसे अभियानों का आयोजन किया जा सकता है।

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