श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन, स्वामी रत्नेशाचार्य जी महाराज सुना रहे कथा
मारूफपुर में चल रही है श्रीमद्भागवत की कथा
कथावाचन कर रहे स्वामी रत्नेशाचार्य जी महाराज
कृष्णावतार में तारने का वचन पूरा कर रहे थे भगवान
चंदौली जिले के क्षेत्र के मारूफपुर स्थित रामअवतार यादव के आवास पर चल रहे सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत त गीता कथा महापुराण अमृतपान के सुप्रसिद्व कथावाचक स्वामी रत्नेशाचार्य जी महाराज ने गोपीयों और भगवान श्रीकृष्ण के संबंधों को वर्णित करते हुए कहा कि गोपियाँ पूर्व जन्म से ही भगवान श्रीकृष्ण से परिचित थीं । जिन्हें श्रीकृष्ण ने अपने कृष्णावतार में तारने का वचन दिया था, जिसे वे अपनी लीलाओं का माध्यम से पूरा कर रहे थे। वस्तुतः वे अपनी लीलाओं का माध्यम से संसार में प्रेम को स्थापित कर रहे थे।
महाराज ने कहा कि गोकुल के ग्वाल बाल, गोपियां पूर्व जन्म में मत्स्य राजकुमारी, कच्छप राजकुमारी, राक्षस राजकुमारियां थीं। जिन्हें तर्पित करने के लिए द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। गोपियों के साथ अपनी लीलाओं के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने चिरजगत को प्रेम का संदेश दिया। उन्होंने अपने कार्यों, वचन और आचरण से निःस्वार्थ प्रेम को स्थापित किया और यह संदेश दिया कि प्रेम में न तो कोई बड़ा है, न कोई छोटा है, न कोई ऊंच है और न कोई नीच है। बल्कि प्रेममय हो जाने पर समूची धरा प्रेम में समाहित दिखती है।
उन्होंने बताया कि यह श्रीकृष्ण का द्रौपती के प्रति प्रेम ही था कि जब उसका चीरहरण हो रहा था तो, द्रौपती के एक आह्वान पर श्रीकृष्ण भागे भागे उसकी लाज बचाने आए। यहीं प्रेम गोपियों में दिखा जब श्रीकृष्ण गोकुल छोड़कर मथुरा चले गए। उन्हें ऐसा लगता था कि दुनिया की सबसे प्रिय वस्तु को किसी ने उनसे छीन लिया है।
कथा के श्रोताओं में विद्याशंकर मिश्र, विनीत चंद्र पांडेय, दिलीप मिश्रा, समाजसेवी चंद्रिका यादव, श्यामू यादव, श्यामनारायण यादव, आकाश विधायक, मुख़्तार यादव, नरसिंह यादव, सुरेश यादव, रमाकांत यादव, शिवकांत यादव, श्रीकांत यादव आदि लोग उपस्थित थे।
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