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नौगढ़ में शौचालय खाने वाले प्रधान, सेक्रटरी व ग्राम विकास अधिकारी पर कब होगी कार्रवाई, पूछ रहे लोग

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में होने वाले भ्रष्टाचार का खुलासा अक्सर किसी न किसी प्रकार से हो जाता है, लेकिन जब कार्रवाई की बात आती है तो उस पर अमल करना काफी मुश्किल दिखता है। कुछ मामलों में F.I.R. भी हो जाए तो गिरफ्तारी नहीं होती और अगर गिरफ्तारी हो गई तो झट मामला सलटाने का जुगाड़
 
नौगढ़ में शौचालय खाने वाले प्रधान, सेक्रटरी व ग्राम विकास अधिकारी पर कब होगी कार्रवाई, पूछ रहे लोग

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चंदौली जिले में होने वाले भ्रष्टाचार का खुलासा अक्सर किसी न किसी प्रकार से हो जाता है, लेकिन जब कार्रवाई की बात आती है तो उस पर अमल करना काफी मुश्किल दिखता है। कुछ मामलों में F.I.R. भी हो जाए तो गिरफ्तारी नहीं होती और अगर गिरफ्तारी हो गई तो झट मामला सलटाने का जुगाड़ हो जाता है।

कुछ ऐसा ही मामला चंदौली जिले के नक्सल इलाके में देखने को मिला है, जहां करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार में अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी तक नहीं हुई। प्रधान साहब लोग अरेस्ट स्टे पा गए हैं तो विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ बड़े साहब लोग कार्रवाई नहीं होने दे रहे हैं।

शौचालय के खेल में करोड़ों का गोलमाल

आपको याद होगा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण में हुई गड़बड़ी की बात कहकर 26 नवंबर 2020 को नौगढ़ इलाके के चकरघट्टा थाने में आईपीसी की धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471 एवं 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नौगढ़ में हुयी धांधली के मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर तत्कालीन ग्राम प्रधान फुलेगन और ग्राम विकास अधिकारी आशीष कुमार साहनी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था।

नौगढ़ ब्लाक के कई गांवों में एक करोड़ से ज्यादा के गबन का मामला संज्ञान में आया था। पिछले साल गंगापुर सहित सात गांव में शौचालय बनवाने में एक करोड़ से ज्यादा का घालमेल किया गया था। कई जगहों पर शौचालय बना ही नहीं, लेकिन पैसा इन अधिकारियों की मिलीभगत से निकाल दिया गया। जब जांच हुई तो इसकी पोल खुल गई।

कुछ उसी तरह का खेल बरबसपुर गांव में भी हुआ यहां की ग्राम प्रधान शबनम और ग्राम विकास अधिकारी आशीष साहनी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी। कुछ ऐसा ही हाल बसौली गांव की ग्राम प्रधान प्रियंका और वहां के ग्राम पंचायत अधिकारी आशीष साहनी का था, जिनके खिलाफ 12 दिसंबर 2020 को मामला दर्ज हुआ था। इसके पहले मलेवर गांव में घालमेल करने के आरोप में 5 दिसंबर को ग्राम प्रधान किरण देवी और आशीष साहनी के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

नौगढ़ में शौचालय खाने वाले प्रधान, सेक्रटरी व ग्राम विकास अधिकारी पर कब होगी कार्रवाई, पूछ रहे लोग

इसके साथ ही साथ देवरी कला के गांव में भी ग्राम प्रधान रामदीन तथा ग्राम विकास अधिकारी संजीव कुमार पर एफआईआर दर्ज हो चुकी थी। इसके पहले सेमरसाधोपुर में 24 नवंबर 2020 को ग्राम प्रधान मुनिया देवी और संजीव कुमार कार्रवाई की बात सामने आई थी। इन सब के बावजूद कोई विभागीय कार्यवाही आज तक नहीं की गई। ना ही मामले में पुलिस ने कोई दिलचस्पी दिखाई।

क्या कह रहे हैं डीपीआरओ साहब

वहीं इस पूरे मामले मामले पर जिला पंचायती राज अधिकारी ब्रह्मचारी दुबे का कहना है कि जब जांच हुई तो प्रथम दृष्ट्या दोषी पाए गए लोगों पर F.I.R. भी करा दी गयी है। अब आगे की कार्यवाही होनी है। नियुक्ति विभाग वाले अधिकारी को यथोचित कार्रवाई करनी है। इस संदर्भ में वह सही जानकारी दे पाएंगे।

वहीं पता चला है कि आरोपी सचिव आशीष साहनी तथा संजीव कुमार सिंह विकास खंड सदर (चंदौली) में कार्य कर रहे हैं, जबकि पुलिस दोनों अभियुक्तों को नौगढ़ में खोज रही है। पुलिस के लोग अपने सीओ साहब को बता रहे हैं कि अभियुक्त न तो घर पर हैं न कार्यालय में मिल रहे हैं।

सीओ नक्सल नीरज सिंह का कहना है की चार्जशीट लगाने हेतु चकरघट्टा और नौगढ़ के थानाध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं। जल्द से जल्द मामले में कार्रवाई होगी।

वहीं इंस्पेक्टर राम उजागिर का कहना है कि एडीओ पंचायत नौगढ़ से सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद चार्जशीट दाखिल करेंगे।

इस संबंध में जिला विकास अधिकारी पद्माकांत शुक्ला का कहना है कि आशीष कुमार साहनी तथा संजीव कुमार सिंह के मामले में डीपीआरओ कार्यालय से FIR तो करा दी गई लेकिन अभी तक जिस जांच रिपोर्ट पर मुकदमा दर्ज कराया गया है उसकी कॉपी विभाग को उपलब्ध नहीं कराई गई है और ना ही इस बारे में कोई पहल की गई है । इसके बावजूद इन लोगों के खिलाफ विभाग द्वारा जांच कराई जा रही है। जांच के बारे में डीपीआरओ कार्यालय से जांच आख्या की रिपोर्ट मांगी गई है फिर भी मार्च के लास्ट तक इन कर्मचारियों के खिलाफ जांच पूर्ण कर कार्यवाही की जाएगी।

वही इनके नियुक्ति के संबंध में का उन्होंने बताया कि यह सदर में इसलिए नियुक्त किए गए हैं कि विभाग में कर्मचारियों की कमी को देखते हुए उन्हें सदर में नियुक्त किया गया है और जैसे ही दोष उनके खिलाफ साबित होता है विभाग द्वारा सख्त कार्यवाही की जाएगी।

इस इलाके में गरीबों के यहां बनने वाले शौचालय के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी करने वाले ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी स्टे के नाम पर मौज काट रहे हैं और आला अधिकारी भी किसी खास कारण से मामले पर कार्रवाई नहीं होने देना चाह रहे हैं।

लोगों का कहना है कि आखिर ऐसे कौन से कारण हैं कि इतने मामलों में एफआईआर कराने के बाद इन लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है, जबकि छोटे छोटे मामलों पर पुलिस झट से लोगों को जेल भेज दे रही है।

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