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भाजपा के तीन विधायक और सांसद मिलकर नहीं ला पाए जिला पंचायत के लिए बहुमत

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने सत्ताधारी दल ने भाजपा को जोरदार झटका दिया है। वर्ष 2022 के चुनाव से ठीक पहले आए पंचायत चुनाव के नतीजों ने जनता के मिजाज का अहसास करा दिया है। सभी पार्टियों को यह अनुमान हो चुका होगा कि आगामी दिनों की राह आसान नहीं होगी। नतीजे
 
भाजपा के तीन विधायक और सांसद मिलकर नहीं ला पाए जिला पंचायत के लिए बहुमत

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चंदौली जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने सत्ताधारी दल ने भाजपा को जोरदार झटका दिया है। वर्ष 2022 के चुनाव से ठीक पहले आए पंचायत चुनाव के नतीजों ने जनता के मिजाज का अहसास करा दिया है। सभी पार्टियों को यह अनुमान हो चुका होगा कि आगामी दिनों की राह आसान नहीं होगी। नतीजे बता रहे हैं कि जनता भाजपा से इतर किसी अन्य विकल्प की तलाश में है।

 जिला पंचायत सदस्य के कुल 35 सीटों में सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय और तीन विधायक सुशील सिंह, साधना सिंह और शारदा प्रसाद के होने के बाद भी भाजपा मात्र आठ सीट ही जीत पाईं। वहीं सपा ने 11 सीटें, बसपा ने पांच, निर्दलीय 10 तथा एक सीट पर भागीदारी मोर्चा ने जीत दर्ज की ।  

 वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की चार सीटों में तीन पर भाजपा ने और एक पर सपा ने जीत दर्ज की थी।  इस जीत ने भाजपाइयों के उत्साह को आसमान पर पहुंचा दिया था लेकिन पंचायत चुनाव 2021 के परिणाम ने भाजपा को नए सिरे से मंथन करने पर विवश कर दिया है। 10 निर्दलियों के विजय से यह साबित हो रहा कि भाजपा से लोगों का मन हटा है। हो सकता है आगामी विधानसभा चुनाव में लोगों की पहली पसंद सपा बन जाए।

आप को बता दे की सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय के बेहद करीबी और भाजपा पिछड़ा वर्ग के सदस्य शिवशंकर पटेल की पत्नी को नियामताबाद सेक्टर-दो में करारी हार का सामना करना पड़ा। इन्हें जीत का प्रबल दावेदार माना गया था।

यही नहीं चहनियां सेक्टर दो से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और कद्दावार नेता सर्वेश कुशवाहा को मात खानी पड़ी। जिले के इन दिग्गज नेताओं की हार यह साबित करने के लिए काफी है कि जनता का भाजपा से मोहभंग हो रहा है। इसके अलावा जिले के सबसे बड़े ब्लॉक नियामताबाद, नौगढ़, शहाबगंज और धानापुर में भाजपा का खाता तक नहीं खुला। जबकि यहां भाजपा के बड़े नेता मैदान में थे।

जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भाजपा निर्दलियों को अपनी ओर करने के प्रयास में जुटी है। संभव है वह उन्हें अपनी ओर कर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी प्राप्त कर भी ले लेकिन जनता का मूड नहीं बदल सकती।

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