भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों को स्वच्छता कार्यक्रम से लोगों व पंचायतों को जोड़ने के लिए दिल खोलकर बजट दे रही हैं और तमाम तरह के कार्यक्रम और योजना बनाकर गांव को स्वच्छ बनाने का कार्यक्रम चला रही हैं, लेकिन ग्राम प्रधान और ब्लॉक स्तर के अधिकारी और कर्मचारी इन योजनाओं को जमीन पर उतरने नहीं दे रहे हैं।
कुछ जगहों पर इन योजनाओं का लाभ जरूर मिल रहा है, लेकिन इसका उद्देश्य नहीं पूरा हो रहा है। चंदौली जिले के सकलडीहा विकासखंड की बात करें तो गांव के घर-घर में बनने वाले शौचालयों की ही तरह सामुदायिक शौचालय भी खस्ताहाल होने की राह पर हैं। कुछ गांव में सामुदायिक शौचालय बन गए हैं तो वहां के ग्राम प्रधान शुरू कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं और जहां काम चल रहा है वहां पर इसकी प्रगति काफी धीरे है। लेकिन सकलडीहा ब्लाक का एक गांव ऐसा भी है जहां पर विवाद के कारण अभी भी सामुदायिक शौचालय बनने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है।
अगर ब्लाक के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो सकलडीहा विकासखंड के 104 गांव में से 84 गांव में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 19 गांव में अभी भी वह निर्माणाधीन हालत में हैं। यह बताया जा रहा है कि सकलडीहा ब्लाक के डेवढ़िल गांव में कुछ विवाद के कारण अभी भी सामुदायिक शौचालय बनने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इन सब के बावजूद अगर देखा जाए तो जहां पर सामुदायिक शौचालय बन गए हैं, उसका उपयोग उस तरह से नहीं हो रहा है, जिस सोच के साथ इनका निर्माण कराया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सकलडीहा ब्लाक के जीवनपुर गांव में निर्मित शौचालय का ताला ग्रामीणों के लिए अभी तक नहीं खोला जा सका है, जबकि इसे बने कई महीने हो गए हैं। ग्रामीणों की शिकायत करते हुए बताया कि इस शौचालय को अभी तक समूह की महिलाओं को भी हस्तांतरित नहीं किया गया है। ऐसे में सरकार की योजना का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है।
आपको बता दें कि सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव और उनके उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दी गई है और इसके देखरेख व रखरखाव के लिए 9000 रुपए प्रतिमाह मानदेय और 3000 रुपए देखरेख के साथ-साथ रखरखाव को बेहतर बनाने की सामग्री खरीदने के लिए दिया जा रहा है।
गांव के लोग शिकायत करते हुए कहते हैं कि सामुदायिक शौचालय का ताला खुलवाने के लिए कई बार ग्राम पंचायत सचिव एवं ग्राम प्रधान से कहा गया और इस बात की शिकायत खंड विकास अधिकारी स्तर तक की गई लेकिन फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। वहीं एक ग्रामीण का कहना है कि सामुदायिक शौचालय के संचालन में ना तो ग्राम प्रधान रुचि ले रहा है और ना ही समूह की महिलाएं। इसलिए इसका हाल बाकी योजनाओं की तरह हो जाएगा।
वहीं इस पूरे मामले पर सकलडीहा ब्लाक के एडीओ पंचायत बजरंगी पांडे का कहना है कि सकलडीहा ब्लाक के 30 फ़ीसदी गांव के सामुदायिक शौचालय समूह को हस्तांतरित कर दिए गए हैं। हर रोज उसकी मानिटरिंग भी की जा रही है। साथ ही अन्य शौचालयों को चालू कराते हुए महिलाओं को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही ग्राम प्रधानों और सचिवों के माध्यम से उसे हस्तांतरित करा दिया जाएगा, ताकि सामुदायिक शौचालय का उपयोग गांव की जनता कर सके।
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