आरक्षण लेकर आया है कहीं खुशी कहीं गम, लगने लगे तरह तरह के आरोप
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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सूची बुधवार को प्रकाशित होने के बाद उसके विश्वसनीयता को लेकर चर्चाएं जोरों पर होने लगी है। एक तरफ जहां कभी भी आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से लोग चुनाव से वंचित रहते थे उनके अंदर खुशी है।
सकलडीहा ब्लाक के जलालपुर गांव की सीट आजादी के बाद कभी भी एससी नहीं हुई थी, इस बार दलितों के लिए आरक्षित होने पर खुशी का माहौल है और योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद भी दिया जा रहा है।
वही दूसरी तरफ लगातार सामान्य होने के कारण सत्ता की हनक बता कर विरोध किया जा रहा है।
इस संबंध में धरहरा गांव के निवासी व युवा संघर्ष मोर्चा के संयोजक शैलेंद्र पांडे कवि ने आरक्षण की सूची पर उंगली उठाते हुए कहा कि ब्लॉक कर्मियों की मिलीभगत से मनमानी कर जैसे तैसे सूची प्रकाशित कर दी गई है। यह सूची पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है क्योंकि प्रकाशन के बाद आपत्ति मांगी जा रही है। लोग आपत्ति देने में ही लगे रहेंगे तो और काम क्या करेंगे ? अगर गलत नहीं है तो क्यों आपत्ति मांगी जा रही है,सोचने का विषय है।
धरहरा गांव की सीट सामान्य हो गई है और वहां के संभावित प्रत्यासी द्वारा नेतागिरी कर यहां से लखनऊ तक दौरा कर सामान्य कराया गया है। यह आरक्षण कार्य में लगे कर्मचारियों की घोर लापरवाही है। प्रकाशित सूची में आरक्षण का सही तरीके से मापदंड नहीं अपनाया गया है। हालांकि सूची प्रकाशित होने के बाद ब्लॉक मुख्यालय पर पहुंचे लोगों में जहां एक तरफ कभी भी आरक्षित नहीं होने के कारण प्रधान बनने के ख्वाब पाले रह गए थे अब उनको मौका मिल रहा है। वही जिसे प्रधान बनने के बाद कमाई का चस्का लगा था उन्हें दुख भी है।
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