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मनकपड़ा गांव में ग्राम प्रधान की बीमारी से ठप रहा विकास कार्य, प्रशासक भी नहीं करा पाए काम

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show वैसो तो ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाकर गांवों के विकास की उम्मीद से देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। इसे मूर्तरूप देने के लिए सरकार पांच साल में ग्राम पंचायतों को लाखों रुपये बजट देती है । लेकिन चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लाक के मनकपड़ा ग्राम पंचायत के खाते में पिछले तीन साल
 
मनकपड़ा गांव में ग्राम प्रधान की बीमारी से ठप रहा विकास कार्य, प्रशासक भी नहीं करा पाए काम

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वैसो तो ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाकर गांवों के विकास की उम्मीद से देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। इसे मूर्तरूप देने के लिए सरकार पांच साल में ग्राम पंचायतों को लाखों रुपये बजट देती है । लेकिन चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लाक के मनकपड़ा ग्राम पंचायत के खाते में पिछले तीन साल से 37 लाख रुपये धनराशि डंप पड़ी है, लेकिन ग्राम प्रधान के बीमार होने से विकास कार्य ठप है। अब प्रशासक भी कुछ नही कर पा रहे हैं। गांव की गलियां आज भी दुर्दशाग्रस्त हैं।

बदहाल गली से गुजरना ग्रामीणों के लिए मुश्किल हो रहा है। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर एएनएम सेंटर भी नहीं है। पांच सालों में गांव में मात्र एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास मिला। दर्जनों की संख्या में ग्रामीण पात्रता के बावजूद शौचालय योजना से वंचित हैं। चंद लोगों के शौचालय बने हैं लेकिन इसमें भी कोरमपूर्ति ही की गई है। इससे गांव को खुले में शौचमुक्त घोषित करने की मुहिम परवान नहीं चढ़ सकी है। गांव में पेंशन योजनाओं से वंचितों की भी तादाद कम नहीं है। ग्रामीणों को गांव की नई सरकार से काफी उम्मीदे हैं।

नहीं बन पाया सामुदायिक शौचालय

मनकपड़ा गांव में सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए जमीन ही नहीं मिली। राजस्व विभाग की टीम ने इसके लिए कई बार गांव का सर्वे किया लेकिन ग्राम पंचायत जमीन उपलब्ध कराने में नाकाम रही। इससे सामुदायिक शौचालय का निर्माण नहीं हो सका। गांव के बाहर सड़कों के किनारे लोग खुले में शौच करने के लिए विवश हैं। इससे गंदगी का बोलबाला है। वहीं संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सफाईकर्मी नियमित सफाई करने के लिए नहीं आता है। इससे समस्या बनी हुई है।

पीएम व सीएम तक शिकायत, नहीं हुआ काम

गांव में दु‌र्व्यवस्था से आजिज ग्रामीण शिकायत करते-करते थक चुके हैं। कई बार बीडीओ को प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगा चुके हैं। वहीं प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। गांव के गली की मरम्मत नहीं हुई। वहीं पंचायत भवन भी बदहाल है।

पांच साल में विकास रहा शून्य

गांव के चंद्रशेखर पांडेय बेबाकी से कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में ग्राम पंचायत का विकास शून्य है। लाभकारी योजनाओं से ग्रामीण वंचित हैं। राजेंद्र प्रसाद बोले, गांव में खेल मैदान की दरकार है। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल आदि मूलभूत समस्याओं का निदान होना चाहिए। जयप्रकाश राम ने कहा आवास, शौचालय आदि योजनाओं का लाभ नहीं मिला। गरीबों के बारे में सोचने वाला कोई नहीं है।

गरीबों को आवास व पेंशन की दरकार

मनकपड़ा गांव में लगभग 100 गरीबों को सरकारी आवास की दरकार है। गरीब फिलहाल कच्चे मकान व झोपड़ियों में गुजर-बसर करने के लिए विवश हैं। मात्र एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास मिला है। इसी तरह लगभग तीन दर्जन वृद्धों को पेंशन नहीं मिल रही है। चार लोग दिव्यांग पेंशन से वंचित हैं। गांव में यदि सर्वे कराकर पेंशन के लिए लाभार्थियों को चिह्नित किया जाए तो संख्या और बढ़ सकती है।

निवर्तमान ग्राम प्रधान का कहना है कि गांव की अधिकतर गलियों का कायाकल्प कराया जा चुका है। दो वर्षों से स्वास्थ्य खराब होने के चलते विकास कार्य नहीं कराया जा सका।

गांव की जनसंख्या व चौहद्दी

ग्राम पंचायत मनकपड़ा की आबादी लगभग चार हजार है। मतदाताओं की संख्या 1500 है। इसमें 900 पुरूष और 600 महिला मतदाता हैं। मनकपड़ा के पूरब में सिहर, पश्चिम में पालपुर, दक्षिण में सरैया और उत्तर सलयां गांव स्थित हैं।

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