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383 Chakiya Assembly Seat : कौन दे सकता है BJP MLA शारदा प्रसाद को तगड़ी टक्कर, यह कहते हैं समीकरण व आंकड़े

चंदौली जिले की 383 चकिया विधानसभा क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर जहां सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
 

383 चकिया विधानसभा क्षेत्र में

आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी 

चंदौली जिले की 383 चकिया विधानसभा क्षेत्र में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर जहां सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वहीं विभिन्न राजनीतिक दलों में दावेदारों की टिकट पाने को लेकर होड़ लगी हुई है। साथ ही साथ सत्ता दल की वर्तमान विधायक शारदा प्रसाद को हराने के लिए कई प्रमुख पार्टियां अपने जीतने वाले दावेदार को टिकट देने के लिए मंथन करना शुरू कर दी हैं। वर्तमान समय में शारदा प्रसाद भारतीय जनता पार्टी की विधायक हैं, लेकिन आगामी 2022 के चुनाव के लिए टिकट पाने के लिए पूर्व विधायक शिव तपस्या पासवान के अलावा नए चेहरे में डॉ कुंदन प्रसाद तथा नीलम ओहरी भी दावेदारी कर रही हैं। 

वहीं बसपा ने विकास आजाद को पहले से ही अपना विधानसभा प्रभारी बनाते हुए एक तरह से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। विकास आजाद बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे पूर्व सांसद गांधी आजाद के बेटे हैं और अब वह चंदौली जिले को अपनी कर्मभूमि बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी व अन्य छोटे दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उनके उम्मीदवारों की पिछले कई चुनावों में जमानत ही जब्त होती रही है। कांग्रेस के दमदार नेताओं ने शामिल डॉ रामअधार जोसेफ खुद पार्टी छोड़कर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

383 Chakiya Assembly Seat

सपा में सर्वाधिक दावेदार

 समाजवादी पार्टी में टिकट पाने के लिए दावेदारों लंबी लिस्ट है। पार्टी का टिकट मिलने पर जीत का पक्का दावा करने वाले बसपा को छोड़कर आए पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट के अलावा राष्ट्रपति पदक प्राप्त डॉ रामअधार जोसेफ भी अपनी इलाके में काफी सक्रियता दिखा रहे हैं। 

इसके साथ साथ टिकट के लिए सबसे प्रमुख दावेदारी करने वाली पूर्व विधायक पूनम सोनकर भी हैं, जो पति सत्य प्रकाश सोनकर के निधन के बाद 2012 में इस सीट से विधायक चुनी गयी थीं और उनके पति सत्य प्रकाश सोनकर भी दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व 1989 व 1996 में कर चुके हैं। 

इसके अलावा युवा समाजवादी नेता अमरदेव गोंड़ उर्फ पिन्टू बाबा, जिला पंचायत सदस्य दशरथ चंद्र सोनकर, राज प्रिया इंदू भी उभरते चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं, तो वहीं नए चेहरे के रूप में एडवोकेट मंजू लता भी टिकट की दावेदारी करके अन्य टिकट मांग रहे लोगों की चिंता बढ़ाने का काम कर रही हैं। 

चकिया विधानसभा में वैसे भी पिछले 4-5 विधानसभा चुनाव से त्रिकोणात्मक संघर्ष देखने को मिल रहा है। जहां कभी भाजपा तो कभी सपा कभी बसपा ने जीत दर्ज किया है। कांग्रेस चौथे नंबर पर तो बाकी दलों का वोट यहां नहीं के बराबर है ।

आगामी विधानसभा के लिए वर्तमान हालात जो बन रहे हैं। वह भी त्रिकोणात्मक संघर्ष के के जैसा ही दिखायी देने वाला है, लेकिन सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पूरे मजबूती के साथ चुनाव लड़ने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। भाजपा के जीते हुए विधायक शारदा प्रसाद हैं और वह पुराने बसपाई रहे हैं और दलित वोटों में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसलिए वह भाजपा के परंपरागत वोटों के साथ दलित वोटों को अपनी ओर खींचने का दावा करते हुए अपनी जीत पक्की मान रहे हैं।

383 Chakiya Assembly Seat

जितेन्द्र कुमार एडवोकेट का तगड़ा दावा

चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट पाने के लिए वह कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। चुनावी विश्लेषण को देखें तो शारदा प्रसाद को हराने के लिए पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट को ही मजबूत कंडीडेट माना जा रहा है, जो दलित व नौगढ़ इलाके के वोटों को सपा के खेमे में खींचने का कारनामा कर सकते हैं। वहीं अन्य उम्मीदवार केवल चुनावी माहौल पर चुनाव लड़ेंगे। 

आपको बता दें कि पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार एडवोकेट 2007 में 48,655 वोट पाकर लगभग 3 हजार के वोटों के अंतर से दो बार के विधायक रहे सत्य प्रकाश सोनकर को हराकर विधायक बन तो गए थे, लेकिन उसके बाद दो चुनाव हार गए। दोनों चुनावों के दौरान उनका वोट बैंक तो बढ़ा लेकिन विधायक नहीं बन पाए। 2007 के विधानसभा चुनाव में 82,603 वोट पाकर चुनाव हार गए तो 2012 के चुनाव में 76,827 वोट पाकर चुनाव हार गए। दोनों बार उन्हें दूसरे नंबर से संतोष करना पड़ा। अबकी बार पाला बदलने के साथ साथ दो-बार की हार की सहानुभूति भी उनके साथ है।


 
कहा जा रहा है कि बसपा को छोड़ने के बाद भी चकिया विधानसभा में दलित वोट बैंक का एक तिहाई हिस्सा उनके साथ जुड़ा हुआ है। वहीं समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट मिलने पर वह भाजपा के शारदा प्रसाद को हराने में पूरी तरह से कामयाब होते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे हालात में यदि समाजवादी पार्टी जितेंद्र कुमार एडवोकेट को टिकट देती है तो चकिया विधानसभा का परिणाम शायद समाजवादी पार्टी की झोली में देखने को मिल सकता है। लेकिन और भी दावेदार सत्ता विरोधी लहर में अपनी जीत का दावा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह ही शारदा प्रसाद को पटकनी दे सकते हैं।

वोटरों को गणित

अगर कुल मतदाताओं की बात करें तो वर्तमान समय में चकिया विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,67,578 मतदाता बताए जा रहे हैं। इस विधानसभा में एक तरफ जहां 1,96,600 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1,70,978 है। अनुमानित जातिगत आंकड़ों को देखा जाए तो चकिया विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक हरिजन मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है और वह 55 हजार के आसपास बताए जाते हैं। वहीं दूसरे नंबर पर यादव यादव मतदाता आते हैं, जिनकी संख्या तकरीबन 40 हजार बतायी जाती है। चकिया विधानसभा क्षेत्र में क्षत्रिय मतदाताओं की तादाद तकरीबन 30 हजार है तो वहीं 25 हजार के आसपास ब्राह्मण मतदाता हैं, जिनका रूझान निर्णायक साबित होता है। इस विधानसभा में मौर्या मतदाताओं की संख्या 25 हजार बतायी जा रही, जिसमें भाजपा व सपा सेंध लगाने का दावा कर रही है। इलाके में वैश्य मतदाताओं की तादाद लगभग 20 हजार है। इसके साथ-साथ 15 हजार कोल, 20 हजार मुस्लिम, 12 हजार राजभर, 15 हजार बिंद बिहार, 10 हजार चौहान, 9 हजार पटेल, 10 हजार खटिक बिरादरी के लोग बताए जा रहे हैं। इलाके में 10 हजार लोहार/कोहार, 10 हजार धोबी और बनवासी, 25 हजार गोंड/खरवार, 7 हजार मल्लाह वोटर भी गिने जा रहे हैं।

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