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विधायक का टिकट न कटा तो सपा-बसपा के बीच होगी असली टक्कर, जनता में है नाराजगी

गांव-गांव शहर-शहर मोदी-योगी का गुणगान हो रहा है, लेकिन लोग लोकल विधायकों के व्यवहार से अच्छे खासे नाराज हैं और यह भी कहा जा रहा है कि.....
 

एक बार फिर से 'डमी' विधायक नहीं चुनना चाहती है चकिया की जनता

जानिए क्या है लोगों की शिकायत 

 

गांव-गांव शहर-शहर मोदी-योगी का गुणगान हो रहा है, लेकिन लोग लोकल विधायकों के व्यवहार से अच्छे खासे नाराज हैं और यह भी कहा जा रहा है कि अगर सरकार की बदनामी कराने वाले या जनता से कटे-कटे रहने वाले विधायकों के टिकट काटकर नए लोग मैदान में न लाए गए तो भाजपा के सीटों की संख्या घट जाएगी। कुछ ऐसा ही फीडबैक 383 चकिया (सुरक्षित) विधानसभा सीट को लेकर मिल रहा है। चंदौली समाचार की टीम ने लोगों से चर्चा करके फीडबैक लेने की कोशिश की.... 

चंदौली जिले की 383 चकिया (सु) विधानसभा क्षेत्र में विधायक शारदा प्रसाद भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। तब लोगों को लगा था कि बसपा से भाजपा में आने के बाद शारदा प्रसाद की कार्यशैली बदल जाएगी, लेकिन ऐसा हो न सका। इसीलिए विधायक से लोग अच्छे खासे नाराज दिख रहे हैं। 

विधायक से अधिक सक्रिय प्रतिनिधि

इलाके के लोगों का कहना है कि बीते 5 वर्ष के अपने कार्यकाल में विधायक शारदा प्रसाद का लोगों से मिलना जुलना नहीं के बराबर रहा है। सरकारी कार्यक्रमों व पार्टी के बड़े आयोजनों को छोड़ दिया जाय तो किसी की दुख सुख में शामिल होकर अपना व पार्टी का जनाधार बढ़ाना विधायक शारदा प्रसाद की आदत में शुमार नहीं है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि विधायक जी अपने धंधे पानी में मस्त रहते हैं और इनके हिस्से की विधायकी उनके प्रतिनिधि ही किया करते हैं। अगर किसी ने गलती से आमंत्रित कर दिया तो कई जगहों पर विधायक की जगह उनके प्रतिनिधि जाकर जो कुछ करना हो करते हैं। लोगों की यही असली नाराजगी है और कह रहे हैं कि 'डमी' विधायक दोबारा नहीं चुनना चाहते हैं।  

डमी विधायक नहीं चाहते हम लोग

इलाके में चर्चा के दौरान विजय कुमार, विकास सिंह ने बताया कि अपने कार्यकाल में विधायक शारदा प्रसाद में एक भी ऐसे कार्य नहीं किया है, जिससे आम जनमानस हो उसका लाभ मिल सके। इन दिनों जब चुनाव नजदीक आने लगे हैं तो विधायक में थोड़ी सी सक्रियता दिखाई दी है। वह भी चकिया नगर पंचायत तक ही सीमित होकर रह गया है। जबकि इसके पूर्व की कई दलों के ऐसे विधायक रहे हैं, जो लोगों के सुख से ज्यादा दुख में इनकी अपेक्षा अधिक भागीदारी निभाते रहे हैं। वह अपने प्रतिनिधि नहीं भेजते बल्कि खुद लोगों के दुखों में शामिल होकर सहानुभूति देने का काम करते रहे है। यहां तक कि गरीब तबके के लोगों को हर संभव आर्थिक मदद भी मुहैया कराते रहे हैं।

पब्लिक डीलिंग व सोशल एक्टिविटी में फेल

राजेश सिंह और सोनू ने कहा कि पब्लिक डीलिंग व सोशल एक्टिविटी में शारदा प्रसाद फेल साबित हुए हैं। वह भाजपा में आने के बाद भी अपने बसपा के अंदाज में अपने वोटबैंक के दम पर फिर से विधायक बनने की फिराक में होंगे। इसीलिए चकिया विधानसभा में कम सक्रिय रहते रहे। इलाके की चंद लाभ लेने वाली जनता को छोड़कर अधिकांश जनता नाराज है। ऐसे मामले को देखते हुए विधायक शारदा प्रसाद पर भाजपा दांव लगाएगी तो अपनी सीट गंवाएगी। 
   

भाजपा तीन नंबर पर जाएगी

विधानसभा के रहने वाले कमलेश, शिवाजी मौर्य, उमेश, रामभजन, भरत, हीरालाल, भैरोनाथ का कहना है कि इलाके में उनकी कम लोकप्रियता को देखकर यदि भारतीय जनता पार्टी शारदा प्रसाद को टिकट पुनः देती है तो उनकी हार पक्की है और पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसा हुआ तो असली लड़ाई सपा-बसपा में होगी भाजपा तीन नंबर पर चली जाएगी।

लोगों का कहना है कि वह न तो धान खरीद केन्द्र पर दिखते हैं, न खाद वितरण केन्द्र पर। किसानों की समस्या से कोई लेना देना नहीं। किसान परेशान रहे तो कभी उनके साथ खड़े होने नहीं आए। केवल लखनऊ दिल्ली दरबार में दौड़कर टिकट बचाने की जुगाड़ में लगे रहे हैं।

बसपा कर रही है मेहनत

स्मरण हो कि चकिया विधानसभा में सातवें चरण का मतदान होना है। और बसपा को छोड़कर किसी भी दल ने अभी तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किये हैं। सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ने विकास आजाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। घोषणा के बाद से ही विकास आजाद लगातार दलित वोट बैंक को एकजुट करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। आचार संहिता लागू होने के पूर्व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की चकिया में रैली बुलाकर उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया कि दलित वोट आज भी उनके साथ है वही अन्य जातियों का थोड़ा बहुत भी मत उन्हें मिला तो बसपा प्रत्याशी को चकिया विधानसभा में अबकी बार जीत से कोई रोक नहीं पायेगा। 

वहीं विधायक शारदा प्रसाद को लेकर आम जनमानस में चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी अगर प्रत्याशी बदलकर टिकट देती है तो पुनः चकिया विधानसभा की सीट भाजपा की झोली में जाने की पूरी संभावना है। चर्चा है कि भाजपा भी वर्तमान विधायक शारदा प्रसाद के कार्यों से संतुष्ट नहीं है और इनसे पीछा छुड़ाना चाहती है। अगर पार्टी कैंडिडेट बदलकर नए चेहरे को विधानसभा के चुनाव में उतारती है तो निश्चित ही उसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा और वह सपा-बसपा के साथ लड़ते हुए चुनाव को जीतने में एक बार फिर कामयाब हो सकती है।

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