चंदौली में सोशल मीडिया पर फैल रही है नफरत की राजनीतिक, पुलिस को रखना होगा ध्यान
सोशल मीडिया पर फैल रही है नफरत की राजनीतिक
पुलिस को रखना होगा ध्यान
चंदौली जिले में पिछले 4-5 सप्ताह से हुई कई अपराधिक घटनाओं के बाद राजनीतिक गलियारों में भी आरोपों और प्रत्यारोपों के साथ साथ एक दूसरे के नाम को घसीटने और दलगत आक्षेप लगाने का सिलसिला तेज हो गया है। हत्या का कारण चाहे जो भी हों, लेकिन मौके पर जाने वाले राजनेता उसे राजनीतिक रंग देने या वहां पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस दौरान वह अपने को व अपनी पार्टी को सबकी हितैषी बताते हुए जमकर तारीफ और दूसरी पार्टी के लोगों और कार्यकर्ताओं पर कीचड़ उछालने का काम कर रहे हैं।
इसके साथ साथ कुछ ऐसा ही काम सोशल मीडिया पर भी चल रहा है, जो सिकटिया गांव में हुए हत्याकांड के बाद से अब तक जारी है, लेकिन शिकायतों के बाद भी पुलिस प्रशासन या चंदौली पुलिस की सोशल मीडिया टीम अब तक इस तरह की हरकत करने वाले लोगों पर किसी तरह की कार्रवाई करने में असफल साबित हुई है।
सिकटिया हत्याकांड में भले ही चंदौली जिले की अलीनगर थाना पुलिस और उसमें मदद कर रहे अन्य सेल के पुलिस अधिकारी और कर्मचारी एक के बाद एक गिरफ्तारी करके अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही अनावश्यक बयानबाजी और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के सिलसिले पर रोक लगाने में असफल दिख रही है। उसके बाद ताजा मामला कंदवा थाना क्षेत्र के असना गांव में देखने को मिला है, जहां पर दया यादव की मौत के बाद घटना को दो संप्रदाय की घटना बनाने के साथ साथ राजनीतिक रंग देने की कोशिश शुरू हो गई है।
इतना ही नहीं इसमें लोग दूसरे दल के राजनेताओं का नाम भी घसीटने में लगे हैं और बहुत ही घटिया तरह की अपील कर रहे हैं। फिलहाल इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज कुमार सिंह ने नाराजगी जताई है और प्रशासन से इसमें दखल रहते हुए कार्रवाई की मांग की है। साथ ही मामले आरोप लगाया है कि उन्माद फैलाने के लिए भीड़ जुटाने वाले लोग सत्ता संरक्षित है।
यह बात कहते हुए सपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने कहा कि भाजपा व भाजपा के विधायकगणों द्वारा अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में कोई ऐसा काम तो किया नहीं गया जो उनको जनता के बीच जाकर गिनाने में अच्छा लगे..लिहाजा हाल फिलहाल में हो रही मारपीट व हत्याओं में वह अपना राजनीति मतलब व मकसद ढूंढने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा का चरित्र ही नफरत फैलाना है। उसे न तो हिन्दुओं से कोई सरोकार है और ना ही किसी अन्य जाति या मजहब के लोगों से। भाजपा को केवल अपना राजनीति स्वार्थ साधना जानती है। इसका ताजा उदाहरण चंदौली जनपद में घटी घटनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सिकटिया में व्यक्तिगत मारपीट में हुई विशाल की हत्या के प्रकरण में दीनदयाल उपाध्याय नगर से भाजपा की विधायिका के लिए विशाल पासवान व उसके स्वजातीय भाजपा कार्यकर्ता हो जाते हैं और आरोपी यादव पक्ष के लोगों को उनके द्वारा समाजवादी गुंडा करार दिया जाता है। वहीं असना की घटना में मृतक दया यादव व उसके परिवार के लोग स्थानीय विधायक व भाजपा की निगाह में हिन्दू हो जाते हैं और हिन्दुओं को जगाने व उन्माद फैलाने का आह्वान सोशल मीडिया के जरिए खुलेआम होता है और स्थानीय प्रशासन व पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है।
अब सवाल यह उठता है कि जो यादव सिकटिया में समाजवादी गुंडा था, वही यादव असना में हिन्दू कैसे हो गया..? क्या सिकटिया के यादव हिन्दू नहीं हैं..? यह सवाल चंदौली की आवाम को भाजपा के एक-एक पदाधिकारी व कार्यकर्ता से चट्टी चौराहे पर पूछी जानी चाहिए।
सपा नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा व्यक्तिगत मारपीट की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देकर तूल देना चाहती है ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव में उसे इसका लाभ मिल सके। वह वोटों का ध्रुवीकरण करने की फिराक में है, लेकिन वह यह नहीं जानती कि भाजपा सरकार ने जनता को पिछले पांच सालों में जो जख्म दिए हैं वह भरे नहीं है। इसका करारा जवाब भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगी।
विदित हो कि मारपीट के बाद उपचार के दौरान असना निवासी दया यादव की बीते मंगलवार को अस्पताल में मौत हो गयी। उसके बाद बुधवार को सपा के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार सिंह डब्लू असना पहुंचे और मृत दया यादव के शव को कंधा दिया और अंतिम संस्कार तक मौजूद रहे।
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