यह भाजपा है..यहां टिकट मिलना इतना भी आसान नहीं, परेशान हैं सबसे अधिक वोट पाने वाले ये नेता
टिकट मिलने का क्राइटेरिया तो देने व लेने वाले जानें
पर पार्टी भूल गयी है इनके पिछले जनाधार को
भारतीय जनता पार्टी में टिकटों का वितरण किस तरह से हो रहा है और किसका टिकट कट रहा है और किसको टिकट मिल रहा है। इस बात को लेकर काफी राजनेता असमंजस में हैं। चंदौली जिले में जिस तरह से पिछले विधानसभा में सर्वाधिक वोट पाने वाले और भारी अंतर से जीत दर्ज करने वाले भाजपा के दो सिटिंग विधायकों का टिकट लटका दिया गया है, उससे यह साफ संदेश जाने लगा है कि इनका टिकट कट जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।
आपको बता दें कि चंदौली जिले की 4 विधानसभा सीटों में से 3 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। अब की बार इन लोगों को यह उम्मीद थी कि हम काम चाहे जैसा करें पार्टी सिटिंग विधायकों को टिकट जरूर देगी। भारतीय जनता पार्टी इनका पुराना वोटबैंक देखकर इन पर भरोसा करेगी और इनको एक बार और चुनाव लड़ने का मौका देगी, लेकिन पार्टी आलाकमान ने अब तक केवल सुशील सिंह का टिकट कंफर्म किया है और 2017 में भाजपा के टिकट पर सकलडीहा विधानसभा सीट से हार के बाद भी 5 साल किसी विधायक की तरह सक्रिय रहने वाले सूर्यमुनी तिवारी को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया है। साथ ही सकलडीहा में अबकी बार भारतीय जनता पार्टी की पताका फहराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के दो सिटिंग विधायक दिल्ली और लखनऊ के नेताओं की गणेश परिक्रमा में लगे हुए हैं और उन्हें ऐसा लग रहा है कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो उनका टिकट कट जाएगा। चकिया (सु) के विधायक शारदा प्रसाद पिछले विधानसभा चुनाव में चंदौली जिले में 96,890 वोट पाकर सर्वाधिक मत पाने वाले विधायक बने थे। आज तक चंदौली जिले में कोई भी विधायक इतने वोट नहीं प्राप्त कर सका है। इसके बावजूद भी उनका टिकट रोक दिया गया है। वहीं अगर साधना सिंह की बात की जाए तो यह बात स्पष्ट होती है कि साधना सिंह भी मुगलसराय विधानसभा के इतिहास में सर्वाधिक मत पाने वाली विधायक हैं। उन्हें मुगलसराय में 2017 के विधानसभा चुनाव में 87,401 वोट मिले थे। आजतक इतना वोट मुगलसराय में कोई भाजपा का नेता नहीं पा सका है। उसके बावजूद भी उनको अपने टिकट के लिए दिल्ली और लखनऊ के दरबार की सैर करनी पड़ रही है।
लेकिन अबकी बार इन्हीं दोनों प्रत्याशियों का टिकट भारतीय जनता पार्टी में लटका दिया है, जबकि इन से कम वोट पाने वाले सुशील सिंह को टिकट मिल गया है। सुशील सिंह सैयदराजा विधानसभा में 78,869 वोट पाए थे। वहीं अगर समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक बनने वाले प्रभु नारायण सिंह यादव की बात की जाए तो उन्हें 79,875 वोट मिले थे।
मुगलसराय विधानसभा के एक वोटर ने कहा कि जो लोग जनता को ठेंगे पर पिछले वोट बैंक व अपने जुगाड़ पर भरोसा करके राजनीति कर रहे थे। शायद उनको परेशान होना पड़ रहा है। अगर उनकी इमेज अच्छी बनी रहती व जनता में सक्रियता बनी रहती तो उनको आज दिल्ली की दौड़ नहीं करनी पड़ती। विधायक बनने के बाद भी पार्टी का कार्यकर्ता बने रहना व कार्यकर्ताओं के साथ बने रहना जरूरी होता है। महिला व व्यापारी नेता होने का लाभ पिछली बार मिल गया था। अबकी बार तो काम और व्यवहार भी देखा जा रहा है।
वहीं चकिया के एक मतदाता ने कहा कि बिल्ली के भाग्य से झींका केवल एक दो बार ही टूटता है। हर बार नहीं। शारदा प्रसाद जी दलितों के वोट का दम दिखाकर कितने बार वोट मागेंगे। भाजपा टिकट दे या न दे उसकी मर्जी, पर वोटर की मर्जी अबकी बार उनके फेवर में नहीं है। हो सकता है कि फिर से टिकट मिल जाय, लेकिन जनता क्या करेगी वह 10 मार्च को सबके सामने होगा।
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