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पुलिस द्वारा खुलेआम जारी है धन उगाही का खेल, क्राइम मीटिंग के आदेश को ठेंगे पर रख जारी है पशु तस्करी

 


चंदौली जिले में आजकल पुलिस को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं । जिसमें यह भी कहावत चरितार्थ हो रही है कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का । जब पुलिस वाले ही सारे कारनामों में शामिल है तो किस बात का डर है। जिस का एक नजारा चंदौली जिले में वो खूब देखने को मिल सकता है । 


आप को बता दें कि बॉर्डर के थाने हो या हाईवे के सभी जगह ऐसे कारनामे देखने को मिल रहे है। बस आपको थोड़ी देर के लिए इन थाना क्षेत्रों का भ्रमण करना होगा। क्योंकि जितने पिकेट लगाए गए हैं वह सारे पिकेट कमाऊ जगह के नाम से जाने जाते हैं, जबकि पुलिस विभाग सुरक्षा की दृष्टि से पिकेट लगाती है।


 बताते चलें कि जनपद में इस समय पुलिस की कार्य विधि को लेकर तरह-तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। तो कहीं कारखास अपनी कार्यखासी के कारण चर्चित है। तो कहीं पिकेट पर तैनात सिपाही अपने धन उगाही के कारण चर्चा में आता जा रहा है। वही अपराध को नियंत्रण करने के लिए 112 की पुलिस जगह-जगह पर लगाई गई है लेकिन इन सारे जगहों को अपराध नियंत्रण केंद्र न मानकर धन उगाही का केंद्र माना जाए । यह कहने में में कहीं भी परहेज नहीं होगा। 


कमाऊ जगह पर पोस्टिंग व बने रहने के लिए मुह मांगी जगहों पर ड्यूटी के लिए इंचार्ज व सिपाहियों द्वारा कीमत भी दी जाती है। जिसके लिए ट्रांसफर होने के बाद भी जुगाड़ लगाकर लोग रहने को तैयार हैं।  जिसका एक नमूना आप चंदौली जनपद में भ्रमण कर रहे या पिकेट पर तैनात सिपाहियों का देख सकते हैं।


 वही कारखास में का कार्य करने वाला व्यक्ति अपने साहब से अपने जेब को भरने के लिए किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार है चाहे गौ तस्करी हो या शराब तस्करी हो । इसके भी लोकेशन खूब अच्छी तरह से लेने का कार्य जनपद में बहुत चल रहा है । 


जनपद में पिकेट पर तैनात सिपाहियों द्वारा धन उगाही का कार्य तेजी से चलने के कारण यह धंधा अब फलता फूलता नजर आ रहा है । वहीं पुलिस अधीक्षक द्वारा अपराध पर अंकुश लगाने के नाम पर तरह-तरह निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं लेकिन कहीं कोई पालन होता नहीं दिख रहा है ।

अब देखना है कि ऐसी स्थिति में कैसे चंदौली पुलिस अपराध पर अंकुश लगाती है या राम भरोसे पुलिसिंग ऐसे ही चलती रहती है।

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