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दस्तक अभियान में निःशुल्क जांच व इलाज की रहेगी सुविधा

 


चंदौली जिले में संचारी रोग नियंत्रण माह अभियान के तहत दस्तक पखवाड़े में टीबी मरीजों को खोजा जा रहा रहा है। 12 जुलाई से चल रहा यह पखवाड़ा 25 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी व बुखार के मरीजों को खोजने का कार्य कर रही हैं। खोजे गए मरीजों को चिन्हित कर उनका निःशुल्क इलाज किया जाएगा। साथ ही इलाज के दौरान उन्हें निक्षय पोषण के तहत सहायता राशि भी दी जाएगी।


मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी पी द्विवेदी ने कहा कि दस्तक अभियान का मुख्य उद्देश्य कोरोना काल में टीबी रोगियों का विशेष ध्यान रखने तथा साल 2025 तक देश को टीबी मुक्त करना है। इसके मद्देनजर अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बुखार व क्षय रोग के लक्षणयुक्त व्यक्तियों की सूची तैयार कर उन्हें तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए निर्देशित किया गया है। पुष्टि हुए क्षय रोगियों की सूची एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय को उपलब्ध कराएंगी, जिससे मरीजों को निक्षय पोषण पोर्टल पर पंजीकृत किया जा सके । इससे उन्हें प्रति माह 500 रुपये की पोषण सहायता राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाएगी।


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ डी एन मिश्रा ने बताया - सभी आशा संगिनी और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। कोरोना नियमों का पालन करते हुये दस्तक अभियान के तहत रोगों से बचाव के लिए घर-घर जाकर लोगों को साफ़-सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा है। अभियान में क्षय रोगियों के साथ दिमागी बुखार के मरीजों को भी खोजा जा रहा है। मरीजों के मिलने पर नियमित चार्ट पर सूचनाएं अंकित कर एएनएम को देंगी । एएनएम की सूची के आधार पर स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रारंभिक लक्षण नजर के आधार पर उनकी स्क्रीनिंग करेगी और बलगम का सैम्पल लेकर जांच को भेजा जाएगा। इसके साथ ही कोविड-19 लक्षणयुक्त व्यक्तियों को भी चिन्हित किया जा रहा है तथा एचआईवी व डायबिटीज से ग्रसित व्यक्तियों की भी टीबी की जांच की जा रही है।


डॉ मिश्रा ने बताया कि टीबी मरीजों का लगभग छ: माह तक इलाज किया जाता है | जनवरी 2021 से अब तक 1305 क्षय रोगी इलाज पर रखे गए हैं। अब तक 1966 क्षय रोगियों का इलाज पूर्ण किया जा चुका है । निक्षय पोषण के तहत साल 2020 में क्षय रोगियों को 979500  रुपए, साल 2021 में 279500  रुपए भुगतान किया जा चुका है।


दस्तक अभियान के तहत कोविड-19 से बचाव के लिए आशा कार्यकर्ता अपने कार्य क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगो को कोरोना का टीका लगवाने और साफ-सफाई के प्रति जागरूक करेंगी। घर-घर दस्तक देने के साथ ही परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य जांच करेंगी। घर में जुखाम, बुखार, खांसी आदि बीमारियों से ग्रसित मरीज मिलने पर स्टिकर चिपका कर इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देंगी । अगर किसी व्यक्ति में लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें चिन्हित कर तत्काल प्रभाव से उपचार पर रखा जाएगा।   


डॉ मिश्रा ने कहा कि अभियान का मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक लोगों तक क्षय रोग की उपलब्ध सुविधाओं को पहुंचाना है। यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसते समय खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर बलगम की जांच कराए। जनपद में क्षय रोगियों की जांच एवं उपचार पूर्णतया नि:शुल्क उपलब्ध है। साथ ही मरीज को डॉट्स सेंटर से भी उन्हें जोड़ा जाएगा। निक्षय पोषण योजना के तहत उन्हें इलाज के दौरान 500 रुपए प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जायेगी ।


 उन्होने कहा कि अगर कोई मरीज निजी चिकित्सालय से इलाज पर है, तो भी इसकी जानकारी डोट्स सेंटर को जरूर दें। जिससे उन्हें निक्षय पोषण पोर्टल पर पंजीकृत कर प्रति माह 500 रुपये की पोषण सहायता राशि उनके बैंक खाते में भेजी जा सके।


टीबी के मरीज भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। अन्य लोगों से दूरी बना कर रखना चाहिए। मास्क पहनकर कर रहें, खांसने या छींकने के समय साफ कपड़े से मुंह पर अवश्य लगाए । टीबी के मरीज यहां-वहां न थूके जिससे अन्य लोगों प्रभावित न हो सकें ।

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