प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड पर लटकेगी तलवार, क्वालिटी से समझौते की आशंका
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चंदौली जिले में यूपी-बिहार बॉर्डर स्थित कर्मनाशा नदी पर बने पुल के खंभे के हिस्से जिस तरह से टूट कर गिरे हैं, इससे साफ लगता है कि 450 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल में कहीं न कहीं क्वालिटी के साथ समझौता किया गया होगा, क्योंकि अगर ओवरलोड वाहनों का मामला होता तो केवल एक एक करके कई पिलर नहीं टूटते बल्कि और भी बड़ी क्षति होती।
एनएच-2 पर बना पुल शुक्रवार की देर रात किसी अज्ञात कारण या किसी ओवरलोड वाहन के दबाव से क्षतिग्रस्त होने का दावा किया जा रहा है। पुल के तीन पिलर क्षतिग्रस्त हो गए। इससे सड़क का ऊपरी हिस्सा धंस गया। इस दौरान पुल से गुजर रहे वाहन चालकों में अफरातफरी मच गई। पुल पर मौजूद वाहनों को लेकर किसी तरह चालक पश्चिमी छोर पहुंचे। अब वाहनों का आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया है।
कहा जा रहा है कि इस अतिव्यस्ततम पुल के क्षतिग्रस्त होने से यूपी का बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड से संपर्क टूट गया है। मार्ग बंद होते ही यूपी छोर पर लगभग दस किमी वहीं बिहार में 20 किमी वाहनों की लंबी कतार लग गई। हालांकि छोटे वाहनों को नौबतपुर बाजार में नदी पर बने 100 साल पुराने पुल से गुजारने की पहल कर रही है।
सैयदराजा थाना के नौबतपुर के अंतिम छोर पर कर्मनाशा नदी पर एनएच-2 की ओर से करीब 254 मीटर लंबा पुल बनाया गया है। 2003 में शुरू हुए पुल का निर्माण 2009 में पूरा हुआ और वाहनों के आवागमन के लिए खोल दिया गया। इसके निर्माण में तकरीबन 450 करोड़ रुपये लागत आई थी और 30 वर्ष इसकी मियाद निर्धारित की गई थी।
नौबतपुर बाजार में कर्मनाशा नदी पर बना 100 साल पुराना पुल अब छोटे वाहनों के लिए कारगर होगा। चूंकि यह पुल जर्जर होने से कंडम घोषित हो चुका है, इसलिए इस पर बड़े व भारी वाहनों के संचालन पर पूर्ण पाबंदी है। इस पर हल्के वाहन ही चल सकते हैं। इसके लिए भी प्रशासन को इतना इंतजाम तो करना होगा कि एक साथ ज्यादा वाहन न चलने पाएं।
बताया जा रहा है कि 2003 में प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन कंपनी लि. (पीसीएल) ने 254 मीटर पुल का निर्माण शुरू किया। पुल 2009 में बनकर तैयार हुआ और आवागमन भी शुरू हो गया। पुल की आयु लगभग 30 वर्ष थी लेकिन दस वर्षों में ही बीम का टूट जाना कई सवाल खड़े कर रहा।
यह भी कहा जा रहा है कि पुल की मरम्मत को लेकर कार्यदाई संस्था ने काफी हीलाहवाली की है। तीस साल की अवधि तक कार्यदाई संस्था पीसीएल को हर माह मरम्मत करने का नियम है, लेकिन एक साल से मरम्मत नहीं हो रही थी। इसी का नतीजा रहा कि पुल क्रेक हो गया। एनएच अधिकारी भी मान रहे कि मरम्मत की कमी से यह गड़बड़ी हुई है।
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