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पेड़ों की कटाई में मजदूरों पर गाज, इमानदार बीडीओ व ब्लॉक प्रमुख को क्लीन चिट देने की तैयारी

चहनिया ब्लॉक परिसर में सुंदरीकरण करने के नाम पर कई हरे पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। यह सब ब्लॉक परिसर में मौजूद बीडीओ की मौजूदगी में हो रहा था
 

पेड़ों की कटाई में मजदूरों पर गाज

बीडीओ व ब्लॉक प्रमुख को क्लीन चिट देने की तैयारी

चहनिया ब्लॉक में वन विभाग की अधूरी कार्रवाई

आला अफसर भी खामोश

चंदौली जनपद के चहनिया ब्लॉक परिसर में सुंदरीकरण करने के नाम पर कई हरे पेड़ों की बलि चढ़ा दी गई। यह सब ब्लॉक परिसर में मौजूद बीडीओ की मौजूदगी में हो रहा था लेकिन किसी ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया। जब इस मामले को सोशल मीडिया पर जनसूचना कार्यकर्ता दीपेश सिंह द्वारा आईजीआरएस पोर्टल पर जब शिकायत की गई तो मामला तूल पकड़ लिया। 

सबसे बड़ी बात है कि इस मामले में इतने बड़े पेड़ों की कटाई हो गई, लेकिन कौन जिम्मेदार है यह अब तक तय नहीं हुआ गई। यह मजदूर अपने से काट दिए या फिर अधिकारी को बचाने के लिए मजदूरों पर कार्रवाई करके मामले को निपटाया जा रहा है।

इस मौके पर मिले दो मजदूरों पर कार्यवाही कर वन विभाग ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर दिया। हालांकि इस संबंध में चहनियां बीडीओ ने बताया कि पेड़ काटने के लिए परमिशन की कार्यवाही की गई थी, लेकिन उस कागज को तहसील स्तर पर ही रखा रखा गया था। इस कारण पूरी प्रक्रिया नहीं हो पाई। जबकि पेड़ काटने के पहले ही हमारे द्वारा प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।


 इस संबंध में चहनिया वन रेंज अधिकारी खलीक अहमद ने बताया कि बिना परमिशन के ही हरे पेड़ों को काटा गया है। जिसकी सूचना पर तत्काल मौके पर मिले 2 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और जांच चल रही है। इस संबंध में बीडीओ तथा तथा ब्लाक प्रमुख से जवाबदेही के लिए पत्र जारी किया गया है।


लोगों का कहना है कि अगर ऐसा काम सामान्य व्यक्ति ने किया होता तो न जाने कितने धाराओं में कितने कानूनों का हवाला देकर उसे परेशान किया जाता, लेकिन यह मामला सरकारी एवं सत्ताधारी ब्लाक प्रमुख से जुड़ा हुआ है, इसलिए वन विभाग भी केवल खानापूर्ति कर रहा है। सोशल मीडिया और पोर्टल पर शिकायत के बाद मामले में क्या कार्रवाई होती है..यह देखने वाली बात होगी।

आपको बता दें कि रविवार को यूकेलिप्टस के तीन पेड़ों के साथ शीशम और गोल्ड मोहर के साथ एक अन्य पेड़ को काटते हुए गिरा दिया गया था। तीन हरे पेड़ बिना वन विभाग के परमिशन के ही काटे गए, जबकि ब्लॉक परिसर के पेड़ संपत्ति रजिस्टर में दर्ज हैं उसके लिए एक कमेटी है और ये पेड़ उसकी संस्तुति के बाद ही निविदा निकालकर नीलामी करके काटे या बेचे जा सकते हैं। पर यहां किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

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