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ऐसे हैं बाबा कालेश्वर नाथ, मंदिर से छेड़छाड़ करने वालों की खैर नहीं

यह शिवलिंग दिनों बिन बढ़ती है शुरुआत के समय में यह छोटी शिवलिंग थी आज विशालकाय रूप धारण कर लिया है। माना जाता है कि बाबा कालेश्वर नाथ प्रत्यक्ष रूप में यहां विराजमान है ।
 

सावन में दर्शन पूजन को उमड़ते हैं लोग

सावन के सोमवार को लगती है भीड़

अंग्रेज अधिकारियों से जुड़ी है यहां की एक कहानी

चंदौली जनपद के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के समीप स्थित बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर का एक पौराणिक इतिहास है इनके दर्शन से जहां अकाल मौत टल जाती है वहीं उनके साथ छेड़छाड़ करने वालों की यह अकाल मौत कर भी देते हैं। इसका आज भी जीता जगता प्रमाण शिला पट्ट के रुप में मौजूद है। उनके मंदिर के समीप से ही बनी पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर से पटना तक जाने वाली रेलवे लाइन है।

baba kaleshwar nath temple

बताया जाता है कि बाबा कालेश्वर नाथ स्वयंभू है यह जमीन से अपने आप निकले हैं। बाबा के मंदिर के इतिहास के सम्बन्ध में बताया जाता है कि सकलडीहा कोट के निवासी बाबू बख्त सिंह को पुत्र नहीं हो रहा था तो उन्हें कालेश्वर नाथ जी ने स्वप्न दिया उनकी शिवलिंग निकली हुई है और वहाँ मंदिर बनवा दे तो तुमको पुत्र प्राप्ति होगी, जिस पर बाबू बख्त सिंह सुबह ही पहुंचे और मंदिर का निर्माण करा दिए और समयानुसार उनको पुत्र रत्न की प्रप्ति हुई। उनके वंशज आज भी बाबा के भक्त है।

आपको बता दें कि यह शिवलिंग दिनों बिन बढ़ती है शुरुआत के समय में यह छोटी शिवलिंग थी आज विशालकाय रूप धारण कर लिया है। माना जाता है कि बाबा कालेश्वर नाथ प्रत्यक्ष रूप में यहां विराजमान है । जब पीडीडीयू व पटना रेलवे लाइन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा 1928 में कराया जा रहा था तब मंदिर बीच मे आड़े आ रही थी, अंग्रेजो द्वारा मंदिर को तोड़कर सीधी रेलवे लाइन का निर्माण कराया जा रहा था। लोगों के मना करने के बाद भी हठी अंग्रेज मानने को तैयार नहीं थे। जिसका परिणाम हुआ कि जब रेलवे लाइन बन कर तैयार हुई और रेल के अंग्रेज अधिकारी टेस्टिंग के लिए पटना से आ रहे थे। तभी बाबा कालेश्वर नाथ के सामने स्थित तालाब में अंग्रेज अधिकारियों के पीछे की बोगी मन्दिर के सामने वाली तालाब में गिर गई, जिससे अंग्रेज अधिकारियों की जल समाधि हो गई।

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इस घटना को सुनकर अंग्रेज अधिकारी रोबिन विक्टर की पत्नी वहां पहुंची और बाबा से बड़ी अनुनय विनय करके माफी मांगी और पुनःरेलवे लाइन को वहां टेढ़ा करके दूसरी बार रेल लाइन का को बनाया गया और मंदिर का निर्माण भी किया गया। जिसका प्रमाण आज भी अंग्रेज पत्नी द्वारा लगवाया गया शिलापट्ट भी मौजूद है। सकलडीहा रेलवे स्टेशन पर रेल अधिकारी रोबिन विक्टर की पत्नी ने शिला पट्ट लगवा कर इस घटना को प्रमाणित कर दिया है।

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बाबा कालेश्वर नाथ का सावन में दर्शन करने के लिए भारी श्रद्धालुओं की भी होती है उत्तर प्रदेश के आसपास जिलों के सहित बिहार के भक्त भी कालेश्वर नाथ जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। पूरे सावन के सोमवार में भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन जलाभिषेक के लिए तैयारी किया रहता है। आज सावन के प्रथम सोमवार को भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली सकुशल संपन्न कराने के लिए उप जिलाधिकारी सकलडीहा अनुपम मिश्रा ,सीओ रघुराज व सकलडीहा थाना अध्यक्ष संजय सिंह पूरी मुस्तादी से लग रहे।

यह मंदिर काशी बाबा विश्वनाथ के ट्रस्ट से संबंधित है और उसकी देखरेख काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के द्वारा ही किया जाता है। पूरे सावन भर जहां भक्तों की भीड़ रहती है वही शिवरात्रि पर भी जलाभिषेक करने के लिए भारी श्रद्धालुओं की भीड़ आती है और तीन दिवसीय मेले का भी आयोजन किया जाता है।

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