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उफनाई गंगा में छलांग लगाने वाला उमाशंकर निकाला जिंदा, जानिए कैसे बची जान

उमाशंकर सिंह बीती रात को बलुआ के गंगा पुल से छलांग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था, लेकिन 5 किलोमीटर दूर जाकर महुअर कला गांव में तैरते हुए सकुशल निकालकर अपने पुत्र को फोन करके जिंदा होने की सूचना दिया। 
 

 जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय

नाथूपुर गांव के निवासी उमाशंकर ने गंगा में लगायी थी छलांग

 5 किलोमीटर दूर जाकर महुअर कला में निकले बाहर

चंदौली जनपद के बलुआ थाना क्षेत्र के नाथूपुर गांव के निवासी उमाशंकर सिंह बीती रात को बलुआ के गंगा पुल से छलांग लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था, लेकिन जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय, बाल ना बाका कर सके, चाहे जो जग बैरी हो" यह कहावत चरितार्थ हो गई  । 5 किलोमीटर दूर जाकर महुअर कला गांव में तैरते हुए सकुशल निकालकर अपने पुत्र को फोन करके जिंदा होने की सूचना दिया। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने बयान लेने के बाद परिजनों को सुपुर्द कर दिया।


आपको बता दें कि बलुआ थाना क्षेत्र के नाथूपुर गांव के निवासी उमाशंकर सिंह पुत्र उमराव सिंह बुधवार की रात्रि 8:00 बजे मसाला का कारोबार संपन्न करने के बाद वाराणसी अपने बड़े पुत्र रोशन सिंह के यहां जाने के लिए निकले थे लेकिन बलुआ गंगा पुल पर आकर अपनी मोटरसाइकिल खड़ा करके झोला व चप्पल छोड़कर, गंगा में छलांग लगा लिया, जब राहगीरों ने गंगा में कूदने का दृश्य देखा तो हल्ला गुल्ला किया। जिस पर तत्काल बलुआ पुलिस मौके पर पहुंच गई और उनके सामानों से उनकी पहचान कर परिजनों को सूचित कर दिया। बलुआ थाना अध्यक्ष ने स्थानिक गोताखोरों के माध्यम से रात को ही उन्हें निकालने का प्रयास करने में जुट गए। यह सब चल रहा था कि देर रात घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर जाकर महुअर कला गांव के समीप गंगा से बाहर निकाल कर उमाशंकर सिंह ने अपने पुत्र रोशन सिंह को गांव के ही एक व्यक्ति से फोन करवाया और बताया कि मैं गंगा में कूदा था लेकिन सकुशल बचकर निकल गया।

 सूचना होने के बाद तत्काल परिजन व थाना अध्यक्ष बलुआ महुअर कला पहुंचकर आत्महत्या करने वाले उमा शंकर सिंह को थाने पर ले आए, और वहां उनका बयान लेकर परिजनों को सुपुर्द कर दिया, जिससे परिजनों के दुख खुशी में बदल गए।


 इस संबंध में थाना अध्यक्ष अशोक मिश्रा ने बताया कि उमाशंकर सिंह ने बताया कि मैं तैरना जानता था और जब आत्महत्या की नीयत से गंगा में कूदा तो डूबने के दौरान घूटन होने लगी तब मेरा दिल दिमाग बदल गया और मैं पानी के सहारे तैरते-तैरते किनारे लग गया, तब तक मैं महुअर कला गांव पहुंच गया था। बाहर निकाल के अपने बड़े बेटे को गांव के ही एक व्यक्ति से फोन करवाया। थानाध्यक्ष ने आत्महत्या का कारण पूछा तो कुछ स्पष्ट नहीं बताया, नशे में चूर था और इधर-उधर की बात पाकिस्तान जाने योगी जी से मिलने जाने की बात कह रहा था, बयान लेने के बाद परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया।

                                                                                                                                                                                                                                                              

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