चंदौली प्रशासन के पास नहीं है बोगा का इलाज, आखिर क्यों चुप रहता हैं अफसर

मुख्यमंत्री आदेश को भी नजरंदाज कर रही पुलिस
कारखासों के छत्रछाया में फलफूल रहा बोगा-बालू कारोबार
तिरगांवा पक्के पुल के पास दिखता है गाड़ियों का नजारा
चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र में अबैध रूप से मोरंग बालू लदे बोगा ट्रेक्टर खुब चल रहे हैं। कई स्थानों पर स्थानीय पुलिस के मिली भगत से अबैध बालू मण्डी भी संचालित होती रहती है। इनके ऊपर सूबे के मुखिया आदित्यनाथ योगी द्वारा बीते दिनों ओवरलोड व अवैध खनन को पूर्णतया बैन करने और भाजपा सरकार के जीरो टॉलरेंस की नीतियों को जिला प्रशासन द्वारा लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, या कह लें यह नियम बलुआ थाना क्षेत्र में लागू नहीं होता या स्थानीय थाने ले चौकी वह कारखास के नियम ही लागू होते हैं।
बताया जा रहा है कि इसके लिए लंबा चौड़ा रैकेट काम करता है, जिसका परिणाम यह है कि मोरंग बालू लदे बोगा ट्राली युक्त ट्रैक्टर नौबतपुर सैयदराजा से नई बाजार सकलडीहा के रास्ते फर्राटा भरते हुए मारूफपुर तिरगांवा स्थित पक्के पुल के पास निर्मित पुलिस पिकेट के पास अवैध मंडी सजा दे रहे है। जिससे छात्र छात्राओ, स्कूली वाहनों, स्थानीय व्यापारियों सहित आम राहगीरों को आवागमन में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और घंटों तक लम्बे जाम की स्थिति बनी रहती है।
नौबतपुर सैयदराजा से नई बाजार सकलडीहा के रास्ते मारूफपुर तिरगांवा होकर सैदपुर गाजीपुर के विभिन्न क्षेत्रों में जाने वाले मोरंग बालू लदे बोगा ट्राली युक्त ट्रैक्टर जिला प्रशासन के लिए चुनौती पेश करने लगे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को अवैध खनन व ओवरलोड पर कड़ी कार्रवाई करवाने का फरमान जारी किया था। किन्तु बगैर रायल्टी फीस जमा किये 400-500 फीट मोरंग बालू लादकर ढुलाई कर रहे ओवरलोडेड बोगा ट्राली युक्त ट्रैक्टरों के संचालन के आगे चन्दौली जिला प्रशासन बेबस नजर आ रहा है। जबकि ट्रैक्टरों का उपयोग कृषि कार्य के लिए होता है और उनके साथ लगने वाली ट्राली 100 फीट बालू ढोने के लिए ही वैध होती है।
वहीं स्थानीय प्रशासन द्वारा यदा कदा दो तीन बोगा ट्रैक्टरों को पकड़कर सीज करते हुए कार्रवाई की कोरम पूर्ति कर दी जा रही है। जबकि आये दिन करीब 60-70 बोगा ट्रैक्टर नौबतपुर सैयदराजा से बालू लादकर मारुफपुर तिरगांवा तक फर्राटा भर रहे है जो सरकार का प्रतिदिन लाखों रूपये का राजस्व घाटा करा रहे है।
ऐसी चर्चा है कि इस धंधे में सत्ताधारी पक्ष के समर्थक व पार्टी के कुछ खास लोगों का संरक्षण है, जिससे जिला प्रशासन व खनन विभाग भी चुप्पी साधे हैं। कभी कभार सड़कों पर उतर का इमानदारी बरतने का नाटक किया जाता है, लेकिन बाकी दिनों में जेब करने वाले इन बालू माफियाओं के आगे जिला प्रशासन ही नहीं पुलिस प्रशासन भी नतमस्तक है।
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