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पहले बांटे मनमाने तरीके से शौचालय, अब पैसे वसूलने की तैयारी

कहा जा रहा है कि बार बार शिकायत के बाद जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जवाब मांगा तो जिला प्रशासन ने जवाब दिया कि गांव में सड़क नहीं है, जिससे निर्माण सामग्री नहीं पहुंच पा रही है।
 

ऐसा भी नजरा है बरहनी के एक गांव में

जानिए भोलापुर गांव में शौचालय निर्माण की कहानी

कैसे कैसे बहाने बना रहे हैं चंदौली के अधिकारी

 

चंदौला जिले के कंदवा गांव में जाने के लिए रास्ता होने और खाते में निश्चित धनराशि मिलने के बाद भी अधिकारियों की लापरवाही से बरहनी विकासखंड के भोलापुर गांव में शौचालय निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो सका है। करीब तीन वर्षों में भी शौचालय बनने का काम पूरा न होने पर प्रधान व अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं। यहां कुछ अधूरे शौचालय जरूर दिख रहे हैं।

कहा जा रहा है कि बार बार शिकायत के बाद जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जवाब मांगा तो जिला प्रशासन ने जवाब दिया कि गांव में सड़क नहीं है, जिससे निर्माण सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। इसी वजह से शौचालय का निर्माण रुका है, जबकि सच्चाई यह है कि गांव में सिर्फ बारिश के दिनों में आवागमन में दिक्कत होती है। अन्य दिनों में कोई परेशानी नहीं है। शौचालय निर्माण न होने पर मानवाधिकार आयोग ने 23 नवंबर को डीएम को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का निर्देश दिया है।

 बरहनी विकास खंड के अमड़ा ग्राम सभा से संबद्ध भोलापुर गांव में 30 चिह्नित लाभार्थियों को स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के तहत 19 फरवरी 2019 को 6 हजार रुपये की पहली और 17 फरवरी 2020 को दूसरी किस्त कुल 12 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में शौचालय निर्माण के लिए खाते में भेजी गई थी। इसके बाद भी लाभार्थियों ने शौचालय निर्माण में रुचि नहीं दिखाई। ग्राम प्रधान व अन्य जिम्मेदार लोगों ने शौचालय निर्माण न होने के बाद भी नियम को को ताक पर रखकर दूसरी किश्त भी भेज दी। आलम यह है कि एक ही परिवार के चार-चार लोगों को यहां शौचालय निर्माण के लिए धनराशि उपलब्ध करा दी गई। वहीं कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनके घरों में पहले से ही शौचालय था। बावजूद उनको भी शौचालय के लिए धनराशि उनके खाते में भेज दी गई।

मानवाधिकार सीडब्लूए के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह (योगी) ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की। आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी तो डीएम ने जिला पंचायत राज अधिकारी के हवाले से जवाब दिया कि सड़क खराब होने के कारण निर्माण सामग्री नहीं पहुंच पाई है। इससे शौचालय निर्माण नहीं हुआ है। शौचालय निर्माण न कराने वाले लाभार्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए धीना थाने में तहरीर दी गई है। इसके बाद आयोग ने डीएम से चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। रिपोर्ट न मिलने पर छह सप्ताह का और समय दिया गया लेकिन रिपोर्ट नहीं मिली। इस पर डीएम से व्यक्तिगत रूप से आयोग के समक्ष उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

 इस संबंध में ग्राम प्रधान हेमंत यादव ने कहा कि डीपीआरओ सहित अन्य अधिकारियों ने लाभार्थियों से शौचालय बनवाने का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक एक भी शौचालय नहीं बन सका है। वहीं खंड विकास अधिकारी बरहनी विकास सिंह ने कहा कि शौचालय निर्माण न कराने वाले लाभार्थियों से धनराशि की रिकवरी कराई जाएगी।

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